उत्तर प्रदेश भाजपामय या यूं कहें कि मोदीमय नज़र आ रहा है. रुझान बता रहे हैं कि भाजपा उत्तर प्रदेश विधानसभा में स्पष्ट बहुमत के साथ वापसी की ओर बढ़ रही है. 14 वर्ष का वनवास खत्म हो रहा है और तीसरे पायदान की पार्टी सूबे की सरकार को अपने हाथ में लेती नज़र आ रही है. आजतक आपके लिए मतगणना के पल-पल की खबर आपके लिए लाइव टीवी और Aajtak.in पर ख़बरों के माध्यम से सबसे पहले और सबसे सटीक ढंग से प्रस्तुत कर रहा है.
कांग्रेस के लिए मणिपुर में कुछ गुंजाइश है. पंजाब पूरी तरह उनका दिखाई देने लगा है लेकिन गोवा में भाजपा के साथ कांटे की टक्कर है और फिलहाल किसी को स्पष्ट बहुमत मिलता नज़र नहीं आ रहा है.
शनिवार का जनादेश एक बात को पूरी तरह से स्थापित करता है- यूपी में अभी भी मोदी की लहर है. राज्य की विधानसभा में 10 प्रतिशत की हैसियत वाली पार्टी ने जब 2014 के आम चुनाव में 73 सीटों पर जीत हासिल करके सबको चौंका दिया था तो विरोध के स्वरों ने कहा था कि यह 2017 में दोहराया नहीं जा सकेगा और राज्य की राजनीति पर क्षेत्रीय दलों का वर्चस्व बना रहेगा.
इस तर्क को मज़बूत किया था दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी की जीत ने. और रही सही कसर बिहार में नीतीश-लालू महागठबंधन की जीत ने पूरी कर दी थी. इसी तर्क के चश्मे से उत्तर प्रदेश के चुनाव को भी देखा जा रहा था. लेकिन मोदी लहर ने इस चश्मे को चूर-चूर कर दिया है. उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ऐतिहासिक बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है.
मोदी की इस जीत के आगे पंजाब में पार्टी की हार कहीं खो जाएगी. गोवा में गिरा हुआ प्रदर्शन और मणिपुर में जीत के बड़े दावे भी अवध की होली में खो जाएंगे. उत्तराखंड इस रंग को और गाढ़ा करेगा और मोदी का केसरिया होली का नारा अब सच्चाई बनकर लोगों के सामने है.
जीत के मायने
मोदी की इस जीत में कई बातें अंतरनिहित हैं. सबसे बड़ी जीत हुई है नोटबंदी की. आलोचना के तमाम सुरों को अब पूरी तरह दबा दिया जाएगा और इस जनादेश को नोटबंदी पर जनता की मुहर के तौर पर देखा जाएगा. साथ ही सर्जिकल स्ट्राइक से मोदी लोगों के बीच में छवि निर्माण का काम कर पाने में सफल रहे, यह भी इस परिणाम से स्थापित होता है.
मोदी की इस जीत में कई बातें अंतरनिहित हैं. सबसे बड़ी जीत हुई है नोटबंदी की. आलोचना के तमाम सुरों को अब पूरी तरह दबा दिया जाएगा और इस जनादेश को नोटबंदी पर जनता की मुहर के तौर पर देखा जाएगा. साथ ही सर्जिकल स्ट्राइक से मोदी लोगों के बीच में छवि निर्माण का काम कर पाने में सफल रहे, यह भी इस परिणाम से स्थापित होता है.
उत्तर प्रदेश और बाकी राज्यों के अबतक के नतीजों को देखें तो स्पष्ट दिखता है कि राज्यों में मतदान बदलाव के लिए हुआ है. उत्तर प्रदेश में पिछले 14 साल से सपा और बसपा की सरकारों को देखते आ रहे लोगों ने इसबार भाजपा को मौका देने का निर्णय लिया है. यही स्थिति पंजाब की है जहां अकाली-भाजपा गठबंधन को खारिज कर लोगों ने दोबारा कांग्रेस पर दांव लगाया है. कांग्रेस ने उत्तराखंड खोया है और वहां जोड़-तोड़ से खड़ी हुई भाजपा बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है.
इस चुनाव नतीजे ने जहां एक ओर दलित राजनीति के एक लंबे अध्याय को फिलहाल बंद कर दिया है वहीं केजरीवाल के रथ को भी दिल्ली की सीमा के अंदर ही रोक दिया है. केजरीवाल के लिए और मायावती के लिए अब यह आत्ममंथन का समय है. मायावती लगातार सिमटती जा रही हैं और केजरीवाल शायद अपनी रणनीति में कुछ भूल कर रहे हैं, उन्हें विकल्पहीनता में जीतना तो आता है लेकिन मज़बूत विकल्प से लड़ना शायद नहीं.
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