कहते हैं कि मौत के बाद कब्र ही सबसे सकून की जगह है। लेकिन ग्वाटेमाला में किराए के कब्रिस्तान में मुर्दों को ये सुख भी नसीब नहीं है।
जी हां ग्वाटेमाला में बहुमंजिला कब्रिस्तानों में कब्र के लिए हर माह शव के परिजनों को किराया भरना पड़ता है।
जिस माह किराया नहीं आता, उसके अगले माह मुर्दे को उस कब्र से निकाल कर बाहर रख दिया जाता है और सामूहिक कब्र में डाल दिया जाता है।
यहां जगह की कमी होने के चलते बहुमंजिली इमारतों जैसे कब्रिस्तानों का चलन है। एक के ऊपर एक कब्र बनी होती है और अगर किराया नहीं दिया गया तो वहां के शव को बाहर निकाल कर नए शव को अंदर दफना दिया जाता है।
यहां कब्रों का किराया काफी महंगा है। इसलिए मृतकों के परिजन हमेशा भय में रहते हैं कि न जाने कब उनके प्रिय परिजन के शव को बाहर निकाल दिया जाए।
यहां कब्रिस्तान में आपको कई ऐसे नजारे दिख जाएंगे कि किराया न भरने के चलते कुछ शवों को कब्र से बाहर निकाल दिया गया है। कई शव तो खड़े जैसे दिखते हैं जैसे इंतजार कर रहे हैं अपनी दो गज जमीन का।
प्रशासन का कहना है कि ज्यादा आबादी और कम जगह होने के चलते ऐसे नियम बनाने की मजबूरी है। यहां अमीर लोग तो अपने जीते जी कब्र के लिए रकम का जुगाड़ कर लेते हैं लेकिन गरीबों के लिए ये मुश्किल भरा काम है।
प्रशासन ने हर शहर के बाहर एक सामूहिक ग्राउंड बनाया है जहां हर साल उन शवों को दफनाया जाता है जिनके परिजन समय पर किराया नहीं भर पाते।
यानी जीते जी ही नहीं मरने के बाद भी चैन नसीब नहीं है ग्वाटेमाला के लोगों को। यहां फैली गरीबी के चलते कई लोग अपने परिजनों को खुद ही सामूहिक कब्रिस्तान में अवैध तरीके से दफना देते हैं।
जी हां ग्वाटेमाला में बहुमंजिला कब्रिस्तानों में कब्र के लिए हर माह शव के परिजनों को किराया भरना पड़ता है।
जिस माह किराया नहीं आता, उसके अगले माह मुर्दे को उस कब्र से निकाल कर बाहर रख दिया जाता है और सामूहिक कब्र में डाल दिया जाता है।
यहां जगह की कमी होने के चलते बहुमंजिली इमारतों जैसे कब्रिस्तानों का चलन है। एक के ऊपर एक कब्र बनी होती है और अगर किराया नहीं दिया गया तो वहां के शव को बाहर निकाल कर नए शव को अंदर दफना दिया जाता है।
यहां कब्रों का किराया काफी महंगा है। इसलिए मृतकों के परिजन हमेशा भय में रहते हैं कि न जाने कब उनके प्रिय परिजन के शव को बाहर निकाल दिया जाए।
यहां कब्रिस्तान में आपको कई ऐसे नजारे दिख जाएंगे कि किराया न भरने के चलते कुछ शवों को कब्र से बाहर निकाल दिया गया है। कई शव तो खड़े जैसे दिखते हैं जैसे इंतजार कर रहे हैं अपनी दो गज जमीन का।
प्रशासन का कहना है कि ज्यादा आबादी और कम जगह होने के चलते ऐसे नियम बनाने की मजबूरी है। यहां अमीर लोग तो अपने जीते जी कब्र के लिए रकम का जुगाड़ कर लेते हैं लेकिन गरीबों के लिए ये मुश्किल भरा काम है।
प्रशासन ने हर शहर के बाहर एक सामूहिक ग्राउंड बनाया है जहां हर साल उन शवों को दफनाया जाता है जिनके परिजन समय पर किराया नहीं भर पाते।
यानी जीते जी ही नहीं मरने के बाद भी चैन नसीब नहीं है ग्वाटेमाला के लोगों को। यहां फैली गरीबी के चलते कई लोग अपने परिजनों को खुद ही सामूहिक कब्रिस्तान में अवैध तरीके से दफना देते हैं।
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