
सरकारी सिस्टम को चुस्त-दुरुस्त बनाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार लगातार कदम उठा रही है. ऐसे में मंत्री भी चौकस हैं. गुरुवार को केंद्रीय मंत्री राजनाथ का कार्यक्रम जब 12 मिनट की देरी से शुरू हुआ तो राजनाथ सिंह अफसरों पर नाराज दिखे. यहां तक कि उन्होंने अफसरों को सीख भी दे दी.
विज्ञान भवन में गुरुवार को 11वें सिविल सेवा दिवस के मौके पर केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह कुछ बदले-बदले अंदाज में दिखे. गृह मंत्री ने सबसे पहले इस प्रोग्राम की शुरुआत जैसे ही की उन्होंने कहा कि आज जब मैं आपको संबोधित करने के लिए आया हूँ. मैं सोच रहा था कि अधिकारियों को अच्छा खासा पैसा और रुतबा भी मिलता है. बिरले लोग ही भारत में ऐसे हैं जो इतनी कम उम्र में इतना बड़ा मुकाम पा लेते हैं.
राजनाथ सिंह ने कहा- भारत जो आज विश्व में बड़े स्तर पर काम कर रहा है तो उसकी वजह देश के ये अधिकारी भी हैं. आजादी के बाद अब लोगों का जीवन स्तर सुधरा है लोग चाहते हैं कि उनकी स्थितियों में सुधार हो और ये सुधार नीचे स्तर तक सिर्फ और सिर्फ हमारे अधिकारी ला सकते हैं.
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देरी से प्रोग्राम शरू होने पर गृह मंत्री ने ली अधिकारियों की क्लास
विज्ञान भवन में 12 मिनट देर से प्रोग्राम शरू होने पर गृह मंत्री ने जताई अधिकारियों के सामने नाराजगी. अचानक बोलते बोलते गृह मंत्री ने कहा ये सब होते हुए भी आज हमने इस विज्ञान भवन में देखा कि कार्यक्रम का निर्धारित समय सुबह 9:45 था पर इसकी शुरुआत सुबह 9:57 पर हुआ, पर ये कार्यक्रम समय से शुरू होना चाहिए था. लेकिन कार्यक्रम शुरु तो देर से हुआ. अगर ऐसा नहीं होता तो शायद ठीक होता. पर क्या अब हमारे कमिटमेंट में कोई कमी आ गई हैं. इसको इंट्रोइंस्पेक्ट करना चाहिए. ये देरी आखिर क्यों हुई. ये बड़ा फोरम है जिसमें हम ये बात कह सकते हैं.
विज्ञान भवन में 12 मिनट देर से प्रोग्राम शरू होने पर गृह मंत्री ने जताई अधिकारियों के सामने नाराजगी. अचानक बोलते बोलते गृह मंत्री ने कहा ये सब होते हुए भी आज हमने इस विज्ञान भवन में देखा कि कार्यक्रम का निर्धारित समय सुबह 9:45 था पर इसकी शुरुआत सुबह 9:57 पर हुआ, पर ये कार्यक्रम समय से शुरू होना चाहिए था. लेकिन कार्यक्रम शुरु तो देर से हुआ. अगर ऐसा नहीं होता तो शायद ठीक होता. पर क्या अब हमारे कमिटमेंट में कोई कमी आ गई हैं. इसको इंट्रोइंस्पेक्ट करना चाहिए. ये देरी आखिर क्यों हुई. ये बड़ा फोरम है जिसमें हम ये बात कह सकते हैं.
राजनाथ सिंह ने देश के अधिकारियों की दी प्रशासन की पाठशाला
देश में सिविल सर्विसेज क्वालिटी में कभी कमी नहीं आई पर ऐसी जगहों पर अधिकारी रिस्पांसिबिलिटी शेयर कर सकते हैं. पर अकाउन्टबिलिटी किसी एक कि होती है. आप सरकार के एक पार्ट हैं पर पॉलिटिकल सेट अप बदलता रहता है. हमने कई अधिकारी को देखा है कि वो अपनी रिस्पांसिबिलिटी के साथ काम करते हैं. पर कुछ ऐसे है जो रिस्पांसिबिलिटी से काम नहीं करते हैं.
देश में सिविल सर्विसेज क्वालिटी में कभी कमी नहीं आई पर ऐसी जगहों पर अधिकारी रिस्पांसिबिलिटी शेयर कर सकते हैं. पर अकाउन्टबिलिटी किसी एक कि होती है. आप सरकार के एक पार्ट हैं पर पॉलिटिकल सेट अप बदलता रहता है. हमने कई अधिकारी को देखा है कि वो अपनी रिस्पांसिबिलिटी के साथ काम करते हैं. पर कुछ ऐसे है जो रिस्पांसिबिलिटी से काम नहीं करते हैं.
मौजूद केंद्र सरकार गुड़ गवर्नेन्स के लिए प्रतिबद्ध
सरकार के ढाई-तीन साल के कार्यकाल के दौरान यह सरकार डिग्री ऑफ कमिटमेंट के लिए जानी जाती है और ये सब अधिकारी जान लें. समाज के अंतिम सीढ़ी तक जो बैठा है उस तक सब योजना पहुँचे ये हमारे प्रधानमंत्री का कमिटमेंट है.
सरकार के ढाई-तीन साल के कार्यकाल के दौरान यह सरकार डिग्री ऑफ कमिटमेंट के लिए जानी जाती है और ये सब अधिकारी जान लें. समाज के अंतिम सीढ़ी तक जो बैठा है उस तक सब योजना पहुँचे ये हमारे प्रधानमंत्री का कमिटमेंट है.
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जनता के बीच आप अधिकारी ही काम करते हो
गृह मंत्री ने कहा कि हमने छोटी सी उम्र से ही अधिकारियों को देखा है. तब नेताओं से ज्यादा अधिकारियों का जनता सम्मान करती थी.
गृह मंत्री ने कहा कि हमने छोटी सी उम्र से ही अधिकारियों को देखा है. तब नेताओं से ज्यादा अधिकारियों का जनता सम्मान करती थी.
अधिकारियों में सुनने का पेशेंस होना चाहिए.
नए अधिकारी खास तौर पर ये समझे कि लेकिन जब कोई पॉलिटिकल एग्जीक्यूटिव कुछ कहता है कुछ गलत तो उससे डरो नहीं. इसके बजाए उनको कानून को बताईये. अगर नेता ऑर्डर देता है तो उसको आर्डर देने दीजिये माइक पर और आप कानून के मुताबिक काम करिए. डरने की जरूरत नहीं है. कभी-कभी कुछ अधिकारी निर्णय लेने से बचते हैं. इससे प्रोग्रेस और प्रोसेस ठहर जाता है. इससे नुकसान होता है. आप एक निर्णायक भूमिका के तौर पर काम करें. किसी से डांट और झड़प नहीं करनी चाहिए.
नए अधिकारी खास तौर पर ये समझे कि लेकिन जब कोई पॉलिटिकल एग्जीक्यूटिव कुछ कहता है कुछ गलत तो उससे डरो नहीं. इसके बजाए उनको कानून को बताईये. अगर नेता ऑर्डर देता है तो उसको आर्डर देने दीजिये माइक पर और आप कानून के मुताबिक काम करिए. डरने की जरूरत नहीं है. कभी-कभी कुछ अधिकारी निर्णय लेने से बचते हैं. इससे प्रोग्रेस और प्रोसेस ठहर जाता है. इससे नुकसान होता है. आप एक निर्णायक भूमिका के तौर पर काम करें. किसी से डांट और झड़प नहीं करनी चाहिए.
मौके पर प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि 'मिनिमम गवर्मेंट एंड मैक्सिमम गवर्नेंस' का काम बिना अच्छे अधिकारियों के पूरा नहीं हो सकता था. और इस काम में हमारे अधिकारी मदद भी कर रहे हैं.
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