loading...

अभी -अभी :बाबरी विध्वंस केस के मुख्य आरोपी ने किया बड़ा खुलासा ,बोला -ढांचा गिराने के लिए कारसेवकों को दी थी ट्रेनिंग

Image result for बाबरी विध्वंस केस में बड़ा खुलासा

नई दिल्ली: अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा गिराया गया था. 25 साल हो गए. आज भी अदालतों में मुकदमे चल रहे हैं कि ढांचा किसने गिराया, साजिश किसने रची. बीजेपी के बड़े बड़े नेता मुकदमों में उलझे हुए हैं. ढांचे को गिराना सिर्फ जनाक्रोश नहीं थी. इसकी पहले से तैयारी थी. पहले से प्लान बना हुआ था, पहले से ट्रेनिंग कारसेवकों को दी गई थी और सबसे बड़ी बात लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती जैसे बड़े बीजेपी नेताओं को इसकी जानकारी थी. विवादित ढांचा केस के आरोपी और 1992 में यूपी शिवसेना के अध्यक्ष रहे पवन पांडे ने ये खुलासा किया है.
अयोध्या में बाबरी ढांचा गिराने का सच अदालतों में उलझा हुआ है. 6 दिसंबर को जो हुआ उसे बीजेपी और विश्व हिंदू परिषद जनाक्रोश का नाम देते रहे हैं लेकिन विध्वंस केस के सबसे बड़े आरोपी पवन पांडे का दावा है कि सबकी स्क्रिप्ट लिखी हुई थी और सबको मालूम था कि क्या होने वाला है?

यह भी पढ़े -बड़ी खबर :सुकमा नक्सली हमले में CRPF के 25 जवान शहीद, बोले पीएम-शहादत बेकार नहीं जाएगी...

जिस समय अयोध्या आंदोलन चरम पर था उस समय पवन पांडे उत्तर प्रदेश शिवसेना के अध्यक्ष थे. 1986 में बाला साहेब ठाकरे के सामने पांडे ने शिवसेना की सदस्यता ग्रहण की थी. बाल ठाकरे पवन पांडे को उद्धव और राज ठाकरे के बाद अपना तीसरा बेटा मानते थे. 1989 के अंत में लाल कृष्ण आडवाणी जब रामरथ लेकर चले, तो पवन पांडे इस आंदोलन में शामिल हो गए. इसी दौरान पवन पांडे राम मन्दिर आंदोलन के प्रमुख संत और तत्कालीन श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष रामचंद्र परमहंस के भी करीब आए. नवंबर 1990 में मुलायम सरकार के दौरान जिन हिन्दू कारसेवकों को रोकने के लिए पुलिस ने गोलियां चलाई उनमें पवन पांडे बाल बाल बचे थे. पवन पांडे परमहंस के नेतृत्व में 17 बार जेल जा चुके हैं. बाबरी मस्जिद के विवादास्पद ढांचे को गिराने का जो केस इस समय चल रहा है उसमें मुख्य आरोपी हैं पवन पांडे.
Image result for सबसे बड़े आरोपी पवन पांडे
6 दिसंबर की घटना को बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी अपनी जिंदगी की सबसे दुखद घटना बताते हैं. आडवाणी ने ये भी कहा है कि घटना के दिन जब कारसेवक अचानक ढांचे के गुंबद पर चढ़ गए तो उन्होंने कारसेवकों को नीचे उतरने की अपील की थी. बीजेपी के बड़े नेता शुरू से कहते रहे हैं कि कारसेवकों ने आक्रोश में विवादास्पद ढांचे को गिरा दिया जिसके पीछे कोई साजिश नहीं थी. लेकिन पवन पांडे ने खुलासा करते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद के विवादास्पद ढांचे को गिराने की सोची समझी रणनीति बनाई गई थी.
विवादास्पद ढांचे को गिराने में शामिल पवन पांडे बताते हैं कि देखते ही देखते कारसेवकपुरम से योजना के तहत गुंबद को गिराने के लिए सारे औजार घटना स्थल तक पहुंचा दिये गए. बाबरी मस्जिद के विध्वंस की अगर साजिश रची गई थी तो जाहिर है उसकी रणनीति भी बनी होगी. पवन पांडे का दावा है कि 6 दिसंबर 1992 को जो कुछ हुआ उसकी तैयारी कई सालों से चल रही थी.
अयोध्या आंदोलन से काफी करीब से जुड़े रहे हैं पवन पांडे. राम मंदिर और कारसेवा को लेकर जितनी भी बैठकें हुईं उन सभी बैठकों में पांडे शामिल हुआ करते थे. बाबरी मस्जिद के विवादास्पद ढांचे के गिराने के मुख्य आरोपी पांडे का दावा है कि 1990 में ही गुप्त बैठकों में ये तय हो गया था कि जिस ढांचे को लेकर विवाद है उसके साथ क्या करना है.
पांडे की मानें तो कारसेवकों को 1991 से लेकर 1992 तक ढांचे को गिराने की ट्रेनिंग दी गई. पांडे को आज भी याद है कि कारसेवकों को कहां-कहां और किस तरह से ट्रेनिंग दी गई थी. महाराष्ट्र, एमपी और यूपी में चित्रकूट कामदगिरि पर्वत पर ट्रेनिंग दी गई.
सीबीआई की मूल चार्जशीट के मुताबिक आडवाणी अयोध्या में विवादित बाबरी मस्जिद गिराने की साजिश के मुख्य सूत्रधार थे जो अक्टूबर 1990 में शुरू होकर दिसंबर 1992 तक चला. चार्जशीट के मुताबिक आडवाणी ने 6 दिसंबर को कहा था कि आज कारसेवा का आखिरी दिन है और कारसेवक आज आखिरी बार कारसेवा करेंगे. पांडे का भी कहना है कि आडवाणी को घटना के बारे में पहले काफी कुछ जानकारी दी गई थी.
आडवाणी हमेशा इस बात से इनकार करते रहे हैं कि विवादास्पद ढांचा गिराये जाने के पीछे किसी तरह की कोई साजिश रची गई थी. पवन पांडे का कहना है कि वो नहीं जानते आखिर सब कुछ जानते हुए आडवाणी ऐसा क्यों कह रहे हैं?
loading...
Previous Post
Next Post
loading...
loading...

0 comments: