सिविल सर्विस डे के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई अफसरों को संबोधित किया. पीएम मोदी ने कहा कि 20 साल पहले और आज के हालात में काफी अंतर है. मोदी ने कहा कि अफसरों को शक्ति का एहसास होना चाहिए.
मोदी ने कहा कि पिछले 15-20 वर्षों में कार्यशैली का तरीका बदला है, अब हमारी जिम्मेदारी बढ़ गई है. पीएम ने कहा कि अब लोगों के पास कई तरह के विकल्प मौजूद हैं. हमारी चुनौतियां भी बढ़ गई हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें भी अपनी कार्यशैली को बदलना होगा. सरकार के रहते हुए लोगों को बोझ का एहसास नहीं होना चाहिए.
मोदी ने कहा कि मैं चाहता हूं कि अगले एक साल में काम की क्वालिटी में बदलाव होना चाहिए, सिर्फ सर्वश्रेष्ठ होने से काम नहीं चलता है. अगर सर्वश्रेष्ठ होने का ठप्पा आप पर लगा है तो उसे आदत बनाना जरुरी है.
मोदी ने कहा कि अफसरों को गृहणियों से काफी कुछ सीखने की जरुरत है, वह किस तरह परेशानियों के बावजूद सभी चीजों को मैनेज करती है. मोदी ने कहा कि गृहिणी परिवार को नई ऊंचाई पर ले जाती है, वही जिम्मेदारी आपकी भी है. पीएम ने कहा कि वरियता क्रम का बोझ अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा है, हमें अपने अनुभव को बोझ नहीं बनने देना चाहिए.
मोदी ने कहा कि हमें गर्व होना चाहिए कि जहां मैंने काम किया कि उस काम को मेरे जूनियर ने आगे बढ़ाया. मोदी बोले कि हम सभी एक साथ मिलकर काम करना होगा. मोदी ने कहा कि सिविल सर्विस की सबसे बड़ी ताकत को खोने नहीं देना चाहिए, अफसरों की सबसे बड़ी ताकत अनामिका है. जो कि अफसर की सोच और उसके विजन को दर्शाती है.
मोदी ने कहा कि मैं सोशल मीडिया की ताकत को जानता हूं, सोशल मीडिया के जरिए लोगों को जागरुक किया जा सकता है. जिला लेवल के अफसर भी इसका फायदा उठा सकते हैं, वह अफसर इसका फायदा भी उठा रहे हैं.
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