जब तक चीज़ें हद में थीं, तब तक तो गनीमत थी. मगर अब सब्र का पैमाना छलकने लगा है. इधर भी और उधर भी. अब न तो नार्थ कोरिया का सनकी तानाशान चैन से बैठने को तैयार है और न ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प को ही उसकी धमकियां बर्दाश्त हो रही हैं. और जब तलवार म्यान से निकल ही गई है. तो खैर की उम्मीद बेमानी है. ऐसा इसलिए है क्योंकि अभी तक तो सिर्फ नार्थ कोरिया ही परमाणु हमले की धमकी देता था. मगर इस बार जवाब में धमकी अमेरिका ने भी दे दी है और मामला अब बेहद संजीदा हो चुका है.
अमेरिकी धमकी का कोई असर नहीं
समझदार के लिए इशारा काफी है. अब इसे वो सलाह समझे या धमकी. ये उसके ऊपर है. मगर एक बात उस धमकी देने वाले को भी समझनी चाहिए कि जिसे वो वॉर्निंग दे रहा है. उस पर अगर इनका असर होता. तो वो पहले ही संभल जाता, लेकिन ऐसा है नहीं. क्योंकि जो आखिरी वॉर्निंग अमेरिका उत्तर कोरिया के नाम जारी कर रहा है. उसका तानाशाह तो कब से म्यान से तलवार निकाले खड़ा है. उसे तो बस वक़्त का इंतज़ार है. कुल मिलाकर हालात दोनों तरफ अब एक जैसे हैं. झुकना किसी को गवारा नहीं.
समझदार के लिए इशारा काफी है. अब इसे वो सलाह समझे या धमकी. ये उसके ऊपर है. मगर एक बात उस धमकी देने वाले को भी समझनी चाहिए कि जिसे वो वॉर्निंग दे रहा है. उस पर अगर इनका असर होता. तो वो पहले ही संभल जाता, लेकिन ऐसा है नहीं. क्योंकि जो आखिरी वॉर्निंग अमेरिका उत्तर कोरिया के नाम जारी कर रहा है. उसका तानाशाह तो कब से म्यान से तलवार निकाले खड़ा है. उसे तो बस वक़्त का इंतज़ार है. कुल मिलाकर हालात दोनों तरफ अब एक जैसे हैं. झुकना किसी को गवारा नहीं.
ईमानदारी कोशिश की ज़रूरत
दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जिस ओवर कॉन्फिडेंस में जापान था. कुछ-कुछ वही तस्वीर अब उत्तर कोरिया में नज़र आती है. ऐसे में 72 साल पहले जापान में जो हुआ, वो दोबारा दोहराया ना जाए इसके लिए कोशिश तो बहुत की गई. लेकिन क्या वाकई में इस कोशिश को ईमानदारी से अंजाम दिया गया. क्या वाकई में अमेरिका ने नार्थ कोरिया को समझाने का रास्ता निकाला या फिर अमेरिका इस बात के लिए तैयार नहीं कि दुनिया पर उसके दबदबे में तनिक भी कमी आए. और कोई ऐसा भी पैदा हो जो उसके धमकाने की हिमाकत करे क्योंकि अगर ऐसा होता तो अमेरिका उत्तर कोरिया के मुहाने पर अपने जंगी जहाज़ों को तैनात कर इस तानाशाह को और आग बबूला न करता.
दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जिस ओवर कॉन्फिडेंस में जापान था. कुछ-कुछ वही तस्वीर अब उत्तर कोरिया में नज़र आती है. ऐसे में 72 साल पहले जापान में जो हुआ, वो दोबारा दोहराया ना जाए इसके लिए कोशिश तो बहुत की गई. लेकिन क्या वाकई में इस कोशिश को ईमानदारी से अंजाम दिया गया. क्या वाकई में अमेरिका ने नार्थ कोरिया को समझाने का रास्ता निकाला या फिर अमेरिका इस बात के लिए तैयार नहीं कि दुनिया पर उसके दबदबे में तनिक भी कमी आए. और कोई ऐसा भी पैदा हो जो उसके धमकाने की हिमाकत करे क्योंकि अगर ऐसा होता तो अमेरिका उत्तर कोरिया के मुहाने पर अपने जंगी जहाज़ों को तैनात कर इस तानाशाह को और आग बबूला न करता.
अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने दिया कड़ा संदेश
मामला तो तब और ज़्यादा बिगड़ गया जब दक्षिण कोरिया के दौरे पर अमेरिकी उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने तानाशाह किम जोंग उन को ये कहते हुए सबसे बड़ी धमकी दे डाली कि अगर वो झुका नहीं तो फिर विनाशकारी परमाणु हमला झेलने के लिए तैयार रहे. कोरियाई पेनिंनसुला में तैनात अमेरिकी जंगी जहाज़ यूएसएस रोनाल्ड रीगन से अमेरिकी उप राष्ट्रपति माइक पेंस ने उत्तर कोरिया को बड़ा और कड़ा संदेश दिया है.
मामला तो तब और ज़्यादा बिगड़ गया जब दक्षिण कोरिया के दौरे पर अमेरिकी उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने तानाशाह किम जोंग उन को ये कहते हुए सबसे बड़ी धमकी दे डाली कि अगर वो झुका नहीं तो फिर विनाशकारी परमाणु हमला झेलने के लिए तैयार रहे. कोरियाई पेनिंनसुला में तैनात अमेरिकी जंगी जहाज़ यूएसएस रोनाल्ड रीगन से अमेरिकी उप राष्ट्रपति माइक पेंस ने उत्तर कोरिया को बड़ा और कड़ा संदेश दिया है.
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अमेरिका ने दी परमाणु हमले की धमकी
सीरिया और अफगानिस्तान पर हमले के जरिए दुनिया ने हमारी नए राष्ट्रपति की ताकत देख ली है. उत्तर कोरिया के लिए अच्छा होगा कि वो अपने परीक्षण और सैन्य ताकत को ना बढ़ाए और अमेरिका के सब्र का इम्तहान न ले. क्योंकि हमने तलवार म्यान में नहीं रखी है. वो तैयार हैं. अगर उत्तर कोरिया ने दुस्साहस दिखाया तो उसे अमेरिका का विनाशकारी परमाणु हमला झेलना पड़ेगा. अमेरिकी सेना की ताकत और आक्रामकता पर शक़ न किया जाए. वो किसी भी सामान्य और परमाणु हमले का जवाब विनाशकारी तरीके से देने के लिए पूरी तरह से तैयार है.
सीरिया और अफगानिस्तान पर हमले के जरिए दुनिया ने हमारी नए राष्ट्रपति की ताकत देख ली है. उत्तर कोरिया के लिए अच्छा होगा कि वो अपने परीक्षण और सैन्य ताकत को ना बढ़ाए और अमेरिका के सब्र का इम्तहान न ले. क्योंकि हमने तलवार म्यान में नहीं रखी है. वो तैयार हैं. अगर उत्तर कोरिया ने दुस्साहस दिखाया तो उसे अमेरिका का विनाशकारी परमाणु हमला झेलना पड़ेगा. अमेरिकी सेना की ताकत और आक्रामकता पर शक़ न किया जाए. वो किसी भी सामान्य और परमाणु हमले का जवाब विनाशकारी तरीके से देने के लिए पूरी तरह से तैयार है.
हमले के लिए तैयार अमेरिका
इतना ही नहीं अमेरिकी उप-राष्ट्रपति माइक पेंस ने मौजूदा वक़्त को देखते हुए अपनी सेना को किसी भी हालात के लिए तैयार रहने की हिदायत देते हुए कहा है कि हमारी तैयारी ही हमारी ताकत है.. इसलिए आप सब को हर कदम के लिए तैयार रहना है. उप-राष्ट्रपति माइक पेंस की इस धमकी को उत्तर कोरिया की धमकी का जवाब माना जा रहा है. जिसमें उसने यूएन में अमेरिका को चेतावनी देते हुए कहा था कि अमेरिका हमें सीरिया समझने की भूल न करे.
इतना ही नहीं अमेरिकी उप-राष्ट्रपति माइक पेंस ने मौजूदा वक़्त को देखते हुए अपनी सेना को किसी भी हालात के लिए तैयार रहने की हिदायत देते हुए कहा है कि हमारी तैयारी ही हमारी ताकत है.. इसलिए आप सब को हर कदम के लिए तैयार रहना है. उप-राष्ट्रपति माइक पेंस की इस धमकी को उत्तर कोरिया की धमकी का जवाब माना जा रहा है. जिसमें उसने यूएन में अमेरिका को चेतावनी देते हुए कहा था कि अमेरिका हमें सीरिया समझने की भूल न करे.
उत्तर कोरिया ने चेताया- हमें सीरिया न समझे
उत्तर कोरिया ने कहा कि अगर उसे उकसाया गया तो हम परमाणु हमला करेंगे. इतना ही नहीं हम हर हफ्ते परमाणु परीक्षण करेंगे और हमें कोई रोक नहीं सकता है. दुश्मन की सभी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है. और किसी भी तरह की आक्रामकता का जवाब देने के लिए भी हम तैयार है. हमारी निगरानी न सिर्फ दक्षिण कोरिया और प्रशांत महासागर पर है, बल्कि अमेरिका की धरती पर बने उसके सैन्य अड्डों पर भी है.
उत्तर कोरिया ने कहा कि अगर उसे उकसाया गया तो हम परमाणु हमला करेंगे. इतना ही नहीं हम हर हफ्ते परमाणु परीक्षण करेंगे और हमें कोई रोक नहीं सकता है. दुश्मन की सभी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है. और किसी भी तरह की आक्रामकता का जवाब देने के लिए भी हम तैयार है. हमारी निगरानी न सिर्फ दक्षिण कोरिया और प्रशांत महासागर पर है, बल्कि अमेरिका की धरती पर बने उसके सैन्य अड्डों पर भी है.
मंडरा रहा है युद्ध का खतरा
सिर्फ यही नहीं उत्तर कोरिया ने अमेरिकी उपराष्ट्रपति की ताज़ा धमकी के जवाब में अमेरिका को जबरदस्त जवाबी हमले की चेतावनी देते हुए कह दिया है कि सब कुछ करना मगर 'हमसे न उलझना. कुल मिलाकर आलम अब ये है कि कोरियाई पेनिंनसुला में परमाणु युद्ध का खतरा मंडरा रहा है. उत्तर कोरिया और अमेरिका दोनों ने ही जंग की नौबत आने पर परमाणु हथियारों के इस्तेमाल से न हिचकने का दावा कर रहे हैं. और अगर ऐसा हुआ तो इसका असर न सिर्फ चीन, जापान और दक्षिण कोरिया पर पड़ेगा बल्कि पूरी दुनिया इसके लपेटे में आ सकती है.
सिर्फ यही नहीं उत्तर कोरिया ने अमेरिकी उपराष्ट्रपति की ताज़ा धमकी के जवाब में अमेरिका को जबरदस्त जवाबी हमले की चेतावनी देते हुए कह दिया है कि सब कुछ करना मगर 'हमसे न उलझना. कुल मिलाकर आलम अब ये है कि कोरियाई पेनिंनसुला में परमाणु युद्ध का खतरा मंडरा रहा है. उत्तर कोरिया और अमेरिका दोनों ने ही जंग की नौबत आने पर परमाणु हथियारों के इस्तेमाल से न हिचकने का दावा कर रहे हैं. और अगर ऐसा हुआ तो इसका असर न सिर्फ चीन, जापान और दक्षिण कोरिया पर पड़ेगा बल्कि पूरी दुनिया इसके लपेटे में आ सकती है.
उत्तर कोरिया ने उड़ाया अमेरिका का मजाक
एक तरफ सीरिया और अफगानिस्तान पर हमला कर के अमेरिका ने फिर ये अहसास कराने की कोशिश की कि वो दुनिया पर अपना वर्चस्व खोना नहीं चाहता. वहीं दूसरी तरफ अमेरिका को परमाणु हमले की धमकी और एक और मिसाइल टेस्ट कर के उत्तर कोरिया के तानाशाह किन जोंग उन ने बता दिया कि उसे सीरिया समझने की भूल न की जाए. मगर हैरानी तो तब हो रही है कि जब अमेरिका की परमाणु धमकी को संजीदगी से लेने के बजाए तानाशाह किन जोंग उन उस पर हमले का वीडियो बनाकर उसका मज़ाक उड़ा रहा है. ऐसे में अगर इन दोनों के देशों के बीच युद्ध हुआ तो उसकी चपेट में पूरी दुनिया आ जाएगी.
एक तरफ सीरिया और अफगानिस्तान पर हमला कर के अमेरिका ने फिर ये अहसास कराने की कोशिश की कि वो दुनिया पर अपना वर्चस्व खोना नहीं चाहता. वहीं दूसरी तरफ अमेरिका को परमाणु हमले की धमकी और एक और मिसाइल टेस्ट कर के उत्तर कोरिया के तानाशाह किन जोंग उन ने बता दिया कि उसे सीरिया समझने की भूल न की जाए. मगर हैरानी तो तब हो रही है कि जब अमेरिका की परमाणु धमकी को संजीदगी से लेने के बजाए तानाशाह किन जोंग उन उस पर हमले का वीडियो बनाकर उसका मज़ाक उड़ा रहा है. ऐसे में अगर इन दोनों के देशों के बीच युद्ध हुआ तो उसकी चपेट में पूरी दुनिया आ जाएगी.
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