# सूर्य की दूसरी पत्नी के गर्भ से शनि देव का जन्म हुआ था। जब शनि देव छाया के गर्भ में थे तब छाया भगवान शंकर की भक्ति में इतनी ध्यान मग्न थी की उसे अपने खाने-पीने तक सुध नहीं रही !
यह भी पढ़े ➩
➩
➩
# इसका प्रभाव उसके पुत्र पर पड़ा और शनिदेव का वर्ण श्याम हो गया, शनि के श्यामवर्ण को देखकर सूर्य ने अपनी पत्नी छाया पर आरोप लगाया की शनि मेरा पुत्र नहीं हो सकता है !
➩
➩
# इसका प्रभाव उसके पुत्र पर पड़ा और शनिदेव का वर्ण श्याम हो गया, शनि के श्यामवर्ण को देखकर सूर्य ने अपनी पत्नी छाया पर आरोप लगाया की शनि मेरा पुत्र नहीं हो सकता है !
यह भी पढ़े ➩
➩
➩
➩
➩
# सूर्यदेव ने शनि का त्याग कर दिया। बड़े होने पर जब ये बात शनिदेव को पता चली तो वह अपने पिता से शत्रुता रखने लगे !
# शनि देव ने अपनी साधना तपस्या द्वारा शिवजी को प्रसन्न कर अपने पिता सूर्य की भांति शक्ति प्राप्त की और शिवजी ने शनि देव को वरदान मांगने को कहा, तब शनि देव ने कहा कि प्रभु युगों युगों से मेरी माता छाया की पराजय होती रही हैं !
# शनि देव ने अपनी साधना तपस्या द्वारा शिवजी को प्रसन्न कर अपने पिता सूर्य की भांति शक्ति प्राप्त की और शिवजी ने शनि देव को वरदान मांगने को कहा, तब शनि देव ने कहा कि प्रभु युगों युगों से मेरी माता छाया की पराजय होती रही हैं !
यह भी पढ़े ➩
➩
➩
➩
➩
# मेरे पिता सूर्य द्वारा मेरी माता को अनेक बार अपमानित व प्रताड़ित किया गया हैं, अतः मेरी माता की इच्छा है कि मैं अपने पिता से इस अपमान का बदला लूं, ऐसा तभी हो सकता है जब मैं उनसे ज्यादा शक्तिशानी बनूं !
# भगवान शंकर ने वरदान देते हुए कहा कि नवग्रहों में तुम्हारा सर्वश्रेष्ठ स्थान होगा। मानव तो क्या देवता भी तुम्हारे नाम से भयभीत होंगे। इस तरह शनिदेव को सभी शक्तियां प्राप्त हुईं !
# भगवान शंकर ने वरदान देते हुए कहा कि नवग्रहों में तुम्हारा सर्वश्रेष्ठ स्थान होगा। मानव तो क्या देवता भी तुम्हारे नाम से भयभीत होंगे। इस तरह शनिदेव को सभी शक्तियां प्राप्त हुईं !
यह भी पढ़े ➩
➩
➩
➩
➩
Like Our Facebook Fan Page
Subscribe For Free Email Updates
0 comments: