
# भगवान श्री राम के बारे में तो हम सब जानते है ! पर शायद बहुत कम लोग जानते है की आखिर श्री राम ही क्यों तोड़ पाये भगवान शिव का धनुष !आज हम आपको बतायेगे की क्या है इसके पीछे का रहस्य-
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# रामलीला का सबसे सुंदर और मनमोहक दृश्य होता है भगवान राम का सीता से विवाह। लेकिन राम जी का विवाह सीता से होना इतना आसान नहीं था। देवी सीता के पिता राजा जनक ने सीता के विवाह की ऐसी शर्त रखी थी जिसे पूरा कर पाना किसी के लिए संभव नहीं हो पा रहा था। शर्त यह थी कि जो कोई भगवान शिव का धनुष तोड़ देगा देवी सीता का विवाह उसी से होगा।
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# जब धनुष तोड़ने की घोषण हुई तब सभी राजे राजकुमारों की तरह रावण ने भी शिव जी के धनुष को तोड़ने का प्रयास किया लेकिन असफल रहा। इस समय ऐसा जान पड़ता था कि कोई भी ऐसा वीर नहीं है जो शिव जी का धनुष तोड़ पाए और देवी सीता को अपना बना ले। तब भगवान राम ने शिव जी के धनुष को तोड़कर सीता को अपना बना लिया।
राजा जनक ने सीता विवाह के लिए क्यों रखी ऐसी शर्त ?
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# प्राचीन कथा के अनुसार बाल्यावस्था में एक बार देवी सीता पूजा घर की साफ-सफाई कर रही थी। पूजा घर में जहां शिव जी का धनुष रखा था वहां काफी गंदगी हो गई थी सीता ने इसे साफ करने के लिए एक हाथ से धनुष उठा लिया और दूसरा हाथ से सफाई करने लगी। अचानक राजा जनक पूजा घर में आ गए और सीता को शिव जी का धनुष उठाए देखकर हैरान रह गए !
# राजा जनक ने पूछा तुमने इस भारी धनुष को कैसे उठा लिया। सीता ने सहज भाव से उत्तर दिया, यह धनुष तो बहुत ही हल्का है, मैंने तो इसे एक हाथ से उठा लिया। इसी समय राजा जनक ने कहा कि जो कोई इस धनुष को भंग कर देगा वही सीता का पति होगा !
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# प्राचीन कथा के अनुसार बाल्यावस्था में एक बार देवी सीता पूजा घर की साफ-सफाई कर रही थी। पूजा घर में जहां शिव जी का धनुष रखा था वहां काफी गंदगी हो गई थी सीता ने इसे साफ करने के लिए एक हाथ से धनुष उठा लिया और दूसरा हाथ से सफाई करने लगी। अचानक राजा जनक पूजा घर में आ गए और सीता को शिव जी का धनुष उठाए देखकर हैरान रह गए !
# राजा जनक ने पूछा तुमने इस भारी धनुष को कैसे उठा लिया। सीता ने सहज भाव से उत्तर दिया, यह धनुष तो बहुत ही हल्का है, मैंने तो इसे एक हाथ से उठा लिया। इसी समय राजा जनक ने कहा कि जो कोई इस धनुष को भंग कर देगा वही सीता का पति होगा !
आखिर श्री राम ही कैसे हुए धनुष तोड़ने में सफल -
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# सीता से विवाह के इच्छुक बलशाली राजे राजकुमार बल के अहंकार में डूबे थे। वह धनुष उठाते समय शरीर का पूरा बल धनुष पर लगा देते थे जिससे धनुष उठने की बजाय और बैठ जाता था !
# यह उसी प्रकार होता था जैसे किसी डब्बे के उपर लगा हुआ ढ़क्कन खोलते समय आप जोर लगाएं तो वह और बैठ जाता है लेकिन आराम से खोलें तो तुरंत खुल जाता है !
# राम ने इस चीज को गौर से देखा कि सभी धनुष के साथ बल प्रयोग कर रहे हैं इसलिए धनुष उठ नहीं रहा है !
# इसलिए जब राम धनुष उठाने गए तो जिस प्रकार सीता सहज भाव से बिना बल लगाए धनुष उठा लेती थी उसी प्रकार राम ने भी धनुष को उठाने का प्रयास किया और सफल हुए !
# सीता राम की हो गई। राम ने यहां संसार को ज्ञान दिया कि बल की बजाय हमेशा बुद्धि से काम लेना चाहिए !
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# यह उसी प्रकार होता था जैसे किसी डब्बे के उपर लगा हुआ ढ़क्कन खोलते समय आप जोर लगाएं तो वह और बैठ जाता है लेकिन आराम से खोलें तो तुरंत खुल जाता है !
# राम ने इस चीज को गौर से देखा कि सभी धनुष के साथ बल प्रयोग कर रहे हैं इसलिए धनुष उठ नहीं रहा है !
# इसलिए जब राम धनुष उठाने गए तो जिस प्रकार सीता सहज भाव से बिना बल लगाए धनुष उठा लेती थी उसी प्रकार राम ने भी धनुष को उठाने का प्रयास किया और सफल हुए !
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