# इस युग में माँ लक्ष्मी जी की क्या भूमिका है, यह बताने की आवश्यकता नहीं है। माँ लक्ष्मी जी की कृपा से ही आर्थिक समृद्धि आती है। यह सत्य है कि पैसा ही सब कुछ नहीं है, परंतु बहुत कुछ तो है ही। जीवन में धन-द्रव्य का महत्व नकारा नहीं जा सकता -
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# अक्सर सुनने में आता है कि अमुक व्यक्ति बड़ा मेहनती है लेकिन धन के लिए परेशान रहता है। धन संबंधी परेशानी किसी को भी कभी भी हो सकती है। लेकिन अगर धन लक्ष्मी को प्रसन्न किया जाए तो धन-द्रव्य की सभी परेशानियां दूर की जा सकती हैं।
माँ लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने प्रसन्न करने-
लक्ष्मी पूजन से पहले विष्णु पूजा–
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# लक्ष्मी जी की पूजा करते समय अधिकांश व्यक्ति एक भारी गलती कर बैठते हैं। वे लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी की पूजा तो करते हैं, परंतु श्री हरि विष्णु जी को भुला देते हैं। शास्त्रों के अनुसार माँ लक्ष्मी विष्णुजी की पत्नी हैं। हिन्दू संस्कृति में किसी भी मंगल कार्य में केवल पत्नी का ही आदर-सम्मान नहीं होता बल्कि उसके साथ पति का सम्मान भी आवश्यक रूप से किया जाता है। जब कहीं केवल पत्नी का ही आदर-सम्मान किया जाए और पति की उपेक्षा कर दी जाए तो इससे जितना दुःख पति को होता है, उससे कहीं अधिक दुःख पत्नी को होता है और वह स्वयं भी उस सम्मान को स्वीकार नहीं करती है। इसलिए लक्ष्मी जी की पूजा करने से पहले गणेश जी के साथ-साथ भगवान विष्णु जी की पूजा अवश्य करें तभी माँ लक्ष्मी आप पर स्थाई रूप से प्रसन्न हो सकती हैं।
स्त्री का सम्मान–
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# यदि आप माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो स्त्री वर्ग (माँ, पत्नी, पुत्री, बहन) का सम्मान करें। जहाँ पर स्त्री का सम्मान होता है वहां धन-धान्य, की कोई कमी नहीं रहती तथा सुख-समृद्धि में निरंतर वृद्धि होती है। इसलिए लक्ष्मी जी की साधना करने वालों को स्त्री पक्ष का हमेशा आदर करना चाहिए।
माँ लक्ष्मी को लाल रंग प्रिय–
# अधिकांश व्यक्ति इस बात को नहीं जानते हैं कि माँ लक्ष्मी को लाल रंग अत्यधिक प्रिय है। यदि आप माँ लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो माँ लक्ष्मी की उपासना में सदैव प्रत्येक वस्तु लाल रंग की ही प्रयोग करें। यहाँ तक कि आप यदि दीपक की बत्ती के रूप में कलावा अर्थात लाल रंग की मौली का प्रयोग करें तो माँ लक्ष्मी शीघ्र प्रसन्न होती है।
साफ़-सफाई का महत्व–
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शास्त्रों के अनुसार माँ लक्ष्मी जी वहीँ विराजती हैं जहाँ साफ़-सफाई होती है। यदि आप चाहते हैं कि आपके घर में भी सुख-समृद्धि व आर्थिक संपन्नता बनी रहे तो अपने निवास स्थान की साफ़-सफाई पर विशेष ध्यान दें। जितना भी फालतू सामान आपके घर में इकट्ठा हुआ हो उसे कबाड़ी को बेच दें अथवा बाहर फेंक दें। विशेष तौर पर अमावस्या के दिन पूरे घर की साफ़-सफाई अवश्य करें। सफाई करने के बाद माँ लक्ष्मी जी के नाम से पाँच अगरबत्ती अपने घर के पूजास्थल में अवश्य लगाएं।
लक्ष्मी बीज़ मंत्र का उच्चारण –
माँ लक्ष्मी का बीज़ मंत्र “श्रीं” है। आर्थिक रूप से उन्नति करने के लिए प्रातःकाल उठते ही मानसिक रूप से 21 बार “श्रीं” का उच्चारण करें। फिर अपनी माता के चरण स्पर्श करें अथवा घर में जो भी वृद्ध स्त्री हो, उनके चरण छुए। इससे लक्ष्मी जी की कृपा आप पर सदैव बनी रहेगी।
माँ लक्ष्मी तथा शुक्रवार –
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# शुक्रवार लक्ष्मी जी का प्रधान दिन है इसलिए उनकी कृपा प्राप्त करने हेतु प्रत्येक शुक्रवार को माँ लक्ष्मी जी का स्मरण करके कोई भी सफेद प्रसाद कन्याओं में बाँटना आपकी आर्थिक समृद्धि के द्वार खोल सकता है।
श्री यंत्र का प्रयोग –
# श्री यंत्र एक अत्यंत शक्तिशाली यंत्र है तथा यह माँ लक्ष्मी से संबंधित है। किसी भी शुभ मुहूर्त में श्री यंत्र की स्थापना अपने निवास स्थान में करके इसकी नियमित पूजा करने से माँ लक्ष्मी आप पर प्रसन्न रहेगी।
लक्ष्मी जी से संबंधित स्तोत्र पाठ –
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जिस घर में नियमित रूप से अथवा प्रत्येक शुक्रवार को श्री सूक्तम, पुरुष सूक्तम, इंद्रकृत लक्ष्मी स्तोत्र, श्री महालक्ष्म्याष्टक, लक्ष्मी चालीसा आदि स्तोत्रों का पाठ होता है , वहां माँ लक्ष्मी का स्थाई निवास होता है। इसलिए इन पाठों को अपनी दैनिक पूजा में अवश्य शामिल करें।
हरि विष्णु जी का नियमित पूजन –
शास्त्रों के अनुसार जहाँ श्री हरि विष्णु जी की पूजा होती है, उनकी कथा का वाचन एवं श्रवण होता है, वहां से लक्ष्मी जी कभी नहीं जाती हैं। इसलिए लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्ति हेतु आप अपनी दैनिक पूजा में भगवान विष्णु जी की पूजा अवश्य करें।
हरीप्रिया तुलसी –
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भगवान श्री विष्णु को तुलसी अत्यधिक प्रिय है तथा ऐसी मान्यता है कि जहाँ तुलसी का वृक्ष होता है वहां भगवान विष्णु वास करते हैं। अतः लक्ष्मी जी की कृपा पाने के लिए अपने निवास स्थान पर तुलसी का वृक्ष अवश्य लगाएं क्योंकि माँ लक्ष्मी भगवान विष्णु के बिना नहीं रह सकती है। वैसे भी शास्त्रानुसार जिस घर में शंख, तुलसी और शालिग्राम (भगवान विष्णु का एक रूप) की नियमित पूजा होती है वहां विष्णुप्रिया माँ लक्ष्मी का स्थाई वास होता है।
दक्षिणावर्ती शंख –
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यह शंख बहुत ही महत्वपूर्ण एवं चमत्कारिक प्रभाव देने वाला होता है। जिस घर में इस शंख का पूजन होता है वहाँ माँ लक्ष्मी का स्थाई वास होता है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार इस शंख की उत्पति भी माता लक्ष्मी की तरह समुद्रमंथन से हुई है, इसलिए माँ लक्ष्मी इस शंख को अपना छोटा भाई(सहोदर) मानती हैं। दूसरा कारण यह है कि यह शंख माँ लक्ष्मी के पति और जगत के पालनहार श्री हरि विष्णु को अति प्रिय है, इसलिए माता लक्ष्मी को भी यह शंख अत्यधिक प्रिय है। इस शंख को यदि विधि-विधान से घर में प्रतिष्ठित करके इसका नियमित पूजन किया जाए तो घर के समस्त वास्तुदोष दूर होते हैं और आर्थिक समृद्धि की प्राप्ति होती है।
दान –
शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी के नाम से किसी ग़रीब सुहागिन स्त्री को लाल वस्त्र अथवा सुहाग की सामग्री का दान करें। ऐसा करने से माँ लक्ष्मी अत्यंत शीघ्र प्रसन्न होती हैं।
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