यदि आप ‘अनेकता में एकता’ का व्यवहारिक क्रियान्वयन सचमुच में निहारना चाहते हैंभारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम पर हर देशवासी को नाज है। हम सभी सेना की विशिष्ठता से परिचित हैं; सही मायनों में कहा जाए तो हमें सबसे ज्यादा भरोसा किसी पर है,तो वो सेना पर ही है।
भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम पर हर देशवासी को नाज है। हम सभी सेना की विशिष्ठता से परिचित हैं; सही मायनों में कहा जाए तो हमें सबसे ज्यादा भरोसा किसी पर है,तो वो सेना पर ही है।
परन्तु इसके इतर भी भारतीय सेना अन्य देश की सेनाओं से बेहतर है; न केवल युद्ध कौशल में, अपितु व्यवहारिक जीवन में उच्च मानदंड स्थापित रखने में भी।
सामरिक योग्यता के अलावा भी इंडियन आर्मी अपने इन गुणों के कारण दुनिया की सबसे बेहतरीन आर्म्ड फ़ोर्स है।
विविधता
यदि आप ‘अनेकता में एकता’ का व्यवहारिक क्रियान्वयन सचमुच में निहारना चाहते हैं,तो भारतीय सेना की विभिन्न टुकड़ियों में अलग-अलग प्रान्तों की भाषाओं और संस्कृति के मध्य परस्पर समन्वय,प्रेम और भाईचारे से बेहतर उदाहरण अन्यत्र नहीं मिल सकता।दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में अक्सर दिखने वाले ‘भेदभाव’ ,के विपरीत सेना विविधता को अपनी ‘ताकत’ के रूप में उपयोग करती आयी है।
यारियाँ
दुनिया के कपट पूर्ण माहौल से इतर भारतीय फ़ौजी,अपनी मित्रता को अपनी जान की बाजी लगाकर भी निभाता है।
घर-परिवार से दूर -50 से 50 डिग्री सेल्सियस में सरवाइव करने वाले हमारे जवानों की सबसे बड़ी नैतिक ताकत उनकी आपकी ‘मित्रता’ और को-ऑपरेशन है।
केंद्रीकृत लक्ष्य
कारगिल युद्ध हो या सियाचीन बर्फीले बीहड़ की जंग में सेना ने अपने लक्ष्य को विकट परिस्थितियों के वक़्त यथावत बनाए रखा क्योंकि ‘आर्मी’ का लक्ष्य केवल ‘विजय’ प्राप्ति थी।
निस्वार्थ सेवा
इन्डियन आर्मी एक मात्र ऐसा संगठन है जो पहला दायित्व ‘राष्ट्र की सुरक्षा’ मानता है।
फ़ौजी अपने आराम और सुरक्षा को ताक पर रखकर देश को पहली प्राथमिकता देता है। सिर्फ सेना ही है जिसकी ड्यूटी में स्वार्थ का पुट रिंचक मात्र भी नहीं होता।
हाल में चेन्नई आपदा के वक्त पूरी दुनिया ने इंडियन आर्मी की ‘निस्वार्थ’ और ‘निष्काम’ सेवा भावना को सलाम किया।
अनुशासन
सिविल लाइफ में हम कितने अनुशासित हैं, ये आपको बताने की जरूरत नहीं; दैनिक जीवन में सेना की नित्य दिनचर्या में सेकेण्ड का समय भी बहुत कीमती माना जाता है।
सैन्य परेडों में आप इस टाइट डिसीप्लीन की छाप देख सकते हैं।
प्रोफेशनलिस्म
एक फ़ौजी अपनी जॉब के प्रति महान समर्पण और ईमानदारी का भाव रखता है। यदि कोई कार्य सेना के द्वारा किया गया है तो वो परफेक्ट ही होगा।
हर कार्य में अपना बेस्ट देना यह हमारी आर्मी की सबसे महान खासियत है।
संकटमोचन
पिछले साल उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर की भयानक बाढ़ के वक्त सेना ने अपनी ड्यूटी को ऐसी निष्ठा से निभाया कि अलगाववादी विरोधी भी उसके कायल हो गए।
समय पर जान बचाने वाली सेना आज कईयों के लिए देवदूत से कम नहीं है।
सकारात्मक रवैया
बियावान जंगलों में, सरहद में दुश्मनों की गोलियों के जखीरे में बैठे फौजियों का रवैया बेहद सकारात्मक होता है।
भारत की क्रिकेट में जीत हो, होली हो, दीवाली हो या कोई छोटी सी खुशी का समाचार क्यों न हो – वे हमसे या आपसे ज्यादा खुश रहते हैं और यही रवैया उन्हें अजेय बनाता है।
टीम वर्क
सेना में मनमुटाव की कोई जगह नहीं है,क्योंकि कोई भी जंग अकेले नहीं जीती जा सकती।सेना की विभिन्न रेजीमेंट और बटालियंस की आपस में बेहतरीन तालमेल होता है। इसी कारण वो असंभव लग पाने वाले काम को संभव कर जाते हैं।
जीवटता
फौजें हमेशा अपने जवानों को साहसिक खेलों जैसे स्काई डाइविंग,पर्वतारोहण और पैरा ग्लाइडिंग वगैरह के लिए प्रेरित करती रहती हैं। जो उनके अन्दर जोश और जज्बे को बनाए रखने में मदद करता है।
देशभक्ति और कर्तव्यपरायणता
राष्ट्र के प्रति हमारे क्या कर्तव्य हैं ये हम केवल सेना से ही सीख सकते हैं।
हमारे लिए देशभक्ति केवल भारत-पाक मैच में भारत को चीयरअप करने तक ही सीमित रहती है। जबकि असल में देशभक्ति देश के प्रति श्रद्धा,समर्पण और जुनून है जो केवल सेना ही हमें सिखाती है।
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