
अनीता और तस्लीम दोनों के पति हर संभव कोशिश में लगे हुए थे कि उन्हें कोई किडनी देने वाला मिल जाए लेकिन जो भी अपनी किडनी देने को तैयार होता उससे उनकी पत्नियों की किडनी मैच नही होती |
जब इन्हें ऐसा कोई भी किडनी देने वाला नही मिला जिससे की इनकी पत्नियों की किडनी मैच हो जाती तब डॉक्टर ने जब जाँच की तो पाया कि इन महिलाओ की किडनियां एक दुसरे के काम आ सकती हैं । अनिता के पति विनोद की किडनी तस्लीम और अनवर की किडनी अनीता के काम आई है ऐसे में ये दोनों परिवार एक-दुसरे के लिए मददगार साबित हुए ।
एक ओर जहाँ समाज के कुछ लोग धर्म के नाम पर एक-दुसरे को तोड़ने की बात करते है,वहीँ दो युवको ने इस मजहब की दीवार को तोड़कर मिसाल कायम की है । कोई भी धर्म इंसान को तोड़ता नही बल्कि जोड़ता है । ये बात इस्लाम में कटरपंथी मौलवियों को भी समझनी चाहिए जो तीन तलाक़ के नाम पर महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचारों का समर्थन करते हैं ।
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