
एक बेहद सनसनीख़ेज़ ख़बर आ रही है। बता दें कि कांग्रेस के नेता और बेहद मशहूर वकील अभिषेक मनु सिंघवी पर आयकर विभाग के सेटलमेंट कमीशन शिकंजा कस दिया है।
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उसके ऊपर पिछले तीन सालों की उनकी प्रोफेशनल इनकम में से 91.95 करोड़ रुपए कम दिखाए जाने की वजह से 56.67 करोड़ का जुर्माना लगाया है । कोंग्रेस के भरस्टाचार का एक और रूप सामने आया है और भाजपा ने इस पर बड़ा हमला बोला है । जो लोग ये कहते नहीं थकते थे कि मोदी सरकार बड़े नेताओं के ख़िलाफ़ कुछ नहीं करेगी और उनको हाथ भी नहीं लगाएगी
उनको शायद इस वाक़ये से मोदी सरकार की कार्य प्रणाली का अहसास हो गया होगा । मोदी जी किसी को छोड़ने वाले नहीं हैअभी पिछले दिनों ही अम्बानी की कम्पनी पर दस हज़ार करोड़ का जुर्माना लगाया गया है ।
हालांकि, कमीशन के इस फैसले पर अभी के लिए उन्हें कोर्ट से स्टे ऑर्डर मिल गया है। बीजेपी ने इस मामले में कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, ‘‘जिन लोगों ने लोगों को काले धन पर प्रवचन दिया, उन लोगों के घर में काला धन का यह मामला टिप ऑफ द आइसबर्ग है। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दिखाया है कि देश में किस तरह काला धन पैदा किया जा रहा है। हमारा प्रश्न है कि वो अपनी करीब 100 करोड़ रुपए की कमाई छिपा कर क्यों बैठे थे?”
क्या है पूरा मामला
इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, सिंघवी ने आयकर और कमीशन के सामने दावा किया था कि उन्होंने अपने कर्मचारियों के लिए तीन वर्षों में 5 करोड़ के लैपटॉप खरीदे थे, इसलिए वह 30 फीसदी डिप्रीशिएशन के हकदार हैं। कमीशन ने अपनी जांच में पाया कि सिंघवी ने अपनी सहायता के लिए 14 वकीलों-प्रोफेशनल्स की टीम रखी है।
वहीं, लैपटॉप पर 5 करोड़ खर्च करने के लिए उनके द्वारा 40 हजार की दर से 3 साल में 1250 लैपटॉप खरीदे जाने चाहिए थे। सिंघवी ने अपने पक्ष में जो दावे किए, उसके वह दस्तावेज जमा नहीं करा पाए। उन्होंने कमीशन को बताया कि दिसंबर 2012 में उनके सीए के ऑफिस में दीमकों ने ‘हमला’ कर दिया था और वे सारे दस्तावेज और वाउचर खा गए।
कमीशन ने सिंघवी द्वारा अपनी कंपनी ऋषभ इंटरप्राइजेज के लिए सोलर पैनल लगाने पर 35.98 करोड़ रुपए खर्च किए जाने के दावे की भी जांच की और पाया कि पैनल के दाम बढ़ाकर बताया गए, ताकि टैक्स से बचा जा सके।
इतना ही नहीं, जिस कंपनी से सोलर पैनल लिए गए, उसने आयकर विभाग की जांच में माना कि उसे 21.39 करोड़ रुपए ही मिले थे, जबकि सिंघवी के रिकॉर्ड में यह 25.16 करोड़ बताया गया है। कंपनी ने कहा कि कीमत बढ़ाकर दिखाई गई थी और इसमें से 10 करोड़ रुपए सिंघवी के बेटों को लोन के रूप में लौटाना था।
कमीशन ने सिंघवी के असेसमेंट के शुरुआती स्तर पर किए गए इस दावे को भी चुनौती दी कि कानूनी प्रैक्टिस से उन्होंने जो आय अर्जित की वह 55 प्रतिशत की रेंज में है। आदेश में कहा गया है कि सिंघवी के लेवल के सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकीलों ने आयकर विभाग को सूचित किया है कि उनकी नेट इनकम 90 से 95 फीसदी की रेंज में रही।
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