

इसके साथ सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा है कि सबसे पहले जम्मू-कश्मीर के नागरिकों पर देश का संविधान लागू होता है और फिर इसके बाद जम्मू-कश्मीर का संविधान भी लागू होता है ऐसा जस्टिस कुरियन जोसफ और आर नरीमन की बेंच ने कहा है 1957 में लागू जम्मू-कश्मीर के संविधान की प्रस्तावना के जिक्र में कोर्ट ने यह टिप्पणी की .
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के उस नजरिए को भी खारिज किया था जिसके अनुसार जम्मू-कश्मीर का संविधान देश के संविधान के बराबर है सुप्रीम कोर्ट ने माना कि जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के एक फैसले में राज्य के निरंकुश संप्रभुता की बात की गई है जोकि बेहद परेशान करने वाली बात भी है इसमें बेंच ने स्पष्ट तौर पे कहा है कि जम्मू-कश्मीर के बाशिंदे ‘सबसे पहले’ भारतीय नागरिक हैं
इसके साथ ही भारत की सबसे बड़ी आदालत ने ये भी कहा है कि वह इस तरह के विचार रखने के लिए इसलिए मजबूर हुई है क्यूंकि हाई कोर्ट ने अपने फैसले में संप्रभुता का जिक्र इस तरह से किया है जिसका कोई अस्तित्व ही नही है इसके अलावा अदालत की बेंच ने इस बात का भी जिक्र किया है कि भारतीय संविधान और जम्मू-कश्मीर के सविधान में कोई टकराव नही है इसके साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा है कि भारतीय संविधान का आर्टिकल 1और जम्मू -कश्मीर के सविधान सेक्शन 3 से ये साफ़ पता चलता है कि भारत राज्यों का संघ हैतो वहीँ दूसरी तरफ जम्मू-कश्मीर राज्य भारतीय संघ का अभिन्न हिस्सा है .
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