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पढ़कर आप हैरान रह जायेंगे, विमुद्रीकरण और इस्लाम पर क्या कहते थे अम्बेडकर

आज का सबसे बड़ा सवाल यह है कि कांग्रेस ने गांधी जी के नाम का अधिक दुरपयोग किया है या दलितो के उत्थान के नाम पर मायावती जैसे अन्य नेताओं ने अम्बेडकर का ?

बाबा साहेब एक महान अर्थशास्त्री थे . उन्होंने अर्थशास्त्र पर बहुत से शोध किये, जिसमें उनके एम्ए में की गई  ‘प्राचीन भारतीय वाणिज्य’ और एम्एससी (लन्दन) में की गई ‘ब्रिटिश इंडिया में प्रांतीय अर्थव्यवस्था का विकास’ थीसिस प्रमुख हैं .
बाबा साहेब अम्बेडकर ने 1923 में अपनी पीएच.डी. डॉक्टरेट थीसिस “द प्रॉब्लम ऑफ द रुपी: इट्स ऑरिजिन ऐंड इट्स सोल्यूशन” पर लिखी जो आज भी अर्थशास्त्रियों के लिए बहुत अमूल्य है . उनकी इस किताब से आरबीआई  की स्थापना और कार्यप्रणाली के लिए भी सुझाव लिए गए थे और कुछ दिनों पहले ही भारत सरकार द्वारा लागू किए ‘विमुद्रीकरण’ के बारे में भी बाबा साहब अम्बेडकर ने अपनी इस किताब में लिखा था कि भ्रष्टाचार से बचने के लिए हर 10 साल में नोटों को बदलने के लिए जरुरी कदम उठाना चाहिए .
डॉ अम्बेडकर जानते थे हिन्दू-मुस्लिम एकता अंसभव कार्य हैं . उनका कहना था कि भारत से सारे मुसलमानों को पाकिस्तान भेजना और वहां से हिन्दुओं को बुलाना ही एक मात्र हल है उन्होंने कहा यदि यूनान, तुर्की और बुल्गारिया जैसे छोटे देश यह कर सकते हैं तो हमे भी यह करना चाहिए . वरना अलग होने के बाद भी भारत में साम्प्रदायिक समस्या बनी रहेगी और पाकिस्तान में रह रहे हिन्दुओं की सुरक्षा कैसे होगी ? मुसलमानों के लिए हिन्दू ‘काफिर’यह सम्मान योग्य नहीं है . मुसलमान की सम्वेदना केवल मुसमलमानों के लिए ही है . कुरान गैर-मुसलमानों को मित्र बनाने का विरोधी है, इसीलिए उनके लिए हिन्दू सिर्फ घृणा ,शत्रुता के योग्य है . इस्लाम मुसलमानो को भारत को अपनी मातृभूमि और हिन्दुओं को अपना निकट संबधी, मित्र मानने की आज्ञा नहीं देता. संभवतः यही कारण था कि “मौलाना मौहम्मद अली” जैसे भारतीय मुसलमान ने भी अपने शरीर को भारत की बजाए ‘येरूसलम” में दफन करना अधिक पसन्द किया .
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