आप जानते ही हैं POK में बन रहा चीन और पाकिस्तान का महतवकांशी प्रोजेक्ट CPEC विश्व राजनीति में कितना प्रभावी है इसी के ज़रिए चीन इन दिनों “सिल्क रूट” बनाने के लिए पूरा ज़ोर लगा रहा है। बता दें कि सिल्क रूट एक प्राचीन नाम है और सिल्क रूट पुराने समय में मध्य पूर्व को सीधे भारत और चीन के साथ जोड़ता था तब पाकिस्तान का वजूद नहीं था सारा का सारा क्षेत्र भारत वर्ष होता था।
चीन अपने देश की बड़ी इंडस्ट्री में बनने वाली वस्तुओं के लिए मध्य एशिया को एक बड़े बाज़ार के रूप में स्थापित करना चाहता है । पुराने समय में सिल्क रूट से मध्य एशिया और दक्षिण एशिया तक सीधे शिक्षा सभ्यता और व्यापार का आदान-प्रदान होता था । चीन की पूरी व्यापार नीति इसी ‘सिल्क रूट’ के पुनर्निर्माण पर टिकी है और उसका बड़ा फ़ायदा इसी में है। आपको ये जानकारी भी होनी चाहिए कि 2014 में चीन ने भारत को भी अपने इस बड़े और महतवकांशी प्रोजेक्ट का हिस्सा बनाने की पेशकश की थी ।
चीन ने उस समय सार्वजिक मंच से कहा था कि वह 50 बिलियन डॉलर का खर्चा करके “सिल्क रूट” स्थापित करेगा और भारत समेत दुनिया के सभी देशों के लिए आमंत्रण है और इस महान प्रोजेक्ट का हिस्सा बनें । लेकिन भारत सरकार चीन के इरादों को समझती थी इसलिए जाल में नहीं फँसी।वैसे भी हम भारतीय के नाते POK में बनने वाले किसी प्रोजेक्ट का हिस्सा कैसे बन सकते थे क्यूँकि POK तो हमारा ही है और कभी ना कभी उसको हमें वापिस लेना ही है। इसलिए भारत हमेशा इस आर्थिक गलियारे ( CPEC) को लेकर अपनी नाराजगी जताता रहा है ।
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चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) ही वह प्राचीन सिल्क रूट ही है जिसका ज़िक्र हमने ऊपर किया है। इसी के रास्ते मध्य एशिया में POK के रास्ते चीन प्रवेश करेगा और यही रास्ता चीन के झिनजियांग तक जाएगा । पाकिस्तान और चीन की बड़ी आर्थिक मज़बूती के लिए ये प्रोजेक्ट बहुत ज़्यादा महतवपूर्ण है । बता दें कि POK में मसूद अजहर का नाम चलता है तथा उसका बहुत ज़्यादा प्रभाव है केवल इसी प्रोजेक्ट के लालच में चीन बार बार उसको बचाता है और मसूद आतंकवादी घोसित ना हो इसलिए वीटो टक्का इस्तेमाल करता है। आप समझ सकते हैं चीन किस सिद्दत से CPEC को पूरा करना चाहता है।
हालाँकि इसके रास्ते में ज़बरदस्त रुकावटें आ रही हैं , हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं यहाँ तक की चीनी और पाकिस्तानी जवानों , नागरिकों की जाने भी जा रही हैं , ब्लोच आर्मी भी इसके विरोध में है । रूस जो पहले भारत का पक्का दोस्त था लेकिन जैसे ही उसके टुकड़े हुए थे और इस्लामिक देश इससे अलग हो गये थे रूस के भूखे मरने की नोबत आ गयी थी उस समय दुनिया में सबसे अधिक उसका साथ चीन ने दिया था और इसी वजह से वो चीन का भरोसेमंद दोस्त माना जाता है ।
भारत सरकार ने अपनी कूटनीति के तहत अमेरिका की तरफ़ ज़्यादा झुकाव किया तो रूस थोड़ा थोड़ा पाकिस्तान की तरफ़ झुकने लगा । चीन इसकी बहुत बड़ी वजह बना वैसे रूस पाकिस्तान को ज़्यादा पसंद कभी नहीं करता था । अब तेल की क़ीमतों की वजह से भी रूस को आर्थिक रूप से करारा झटका लगा है । उसकी अर्थव्यवस्था गिर रही है , टूट रही है । इसलिए भी उसको चीन और पाकिस्तान के साथ में अपना थोड़ा फ़ायदा नज़र आने लगा था । लेकिन मोदी सरकार की नीति और मोदी -पुतिन के पर्सनल रिश्ते इन सबके बीच में आ गए और जीत भारत की हुई । बता दें कि तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए रूस ने चाइना पाकिस्तान के CPEC में शामिल होने से इंकार कर दिया है । हालाँकि मीडिया में ऐसी ख़बरें आ रही थी कि रूस CPEC में शामिल हो जाएगा पर ऐसा नहीं हुआ ।
आपको याद होगा कि रूस ने सर्जिकल स्ट्राइक के समय भी भारत का पूरा समर्थन किया था । चाहे कुछ भी कह लीजिए भारत के PM मोदी के व्यक्तिगत रिश्तों का जादू हो या फिर उनकी कूटनीति का करिश्मा पर भारत के रूस को अपने साथ रखकर एक बड़ी बाज़ी जीत ली है ।
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