प्यार की निशानी के रूप में प्रसिद्ध ताजमहल का निर्माण मुगल शासक शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में करवाया था। ताजमहल भारत की शान है जिसे देखने दुनियाभर से सैलानी आगरा पहुंचते हैं। ताज का इतिहास, ताज की कहानी, यह कितने सालों में बना यह तो हम सभी जानते हैं लेकिन एक ऐसी बात भी है जिसे बहुत कम लोग ही जानते हैं।
वो यह कि बिहार के सीवान के रहने वाले ठग नटवरलाल ने ताजमहल को तीन बार बेचा था। उसने लाल किले को दो बार और एक बार राष्ट्रपति भवन को भी बेच दिया था। नटवरलाल का असली नाम मिथलेश कुमार श्रीवास्तव था, वह ठगी के 100 से अधिक मामलों में आरोपी था और आठ राज्यों की पुलिस उसके पीछे लगी थी। अलग-अलग मामलों में उसे 100 साल से अधिक की सजा हुई थी।
वो यह कि बिहार के सीवान के रहने वाले ठग नटवरलाल ने ताजमहल को तीन बार बेचा था। उसने लाल किले को दो बार और एक बार राष्ट्रपति भवन को भी बेच दिया था। नटवरलाल का असली नाम मिथलेश कुमार श्रीवास्तव था, वह ठगी के 100 से अधिक मामलों में आरोपी था और आठ राज्यों की पुलिस उसके पीछे लगी थी। अलग-अलग मामलों में उसे 100 साल से अधिक की सजा हुई थी।
भारत के सबसे बड़े ठग के रूप में चर्चित नटवरलाल को आखिरी बार 1996 में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर देखा गया था, तब वह तीन पुलिसवालों को चकमा देकर भागने में सफल हुआ था।
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