
नई दिल्ली. वैज्ञानिकों ने पहली बार एक ऐसा जीवन बना रहे हैं, जिसमें मनुष्य व सुअर दोनों के ऊतकों को मिलाया गया है। दरअसल, वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में ऐसे भ्रूण तैयार किए हैं, जिनमें ‘कम मात्रा’ में मानव ऊतक मौजूद हैं। ये भ्रूण एक मादा सुअर के गर्भ में विकसित किया गया है।
शोधकर्ताओं के अनुसार मानव और पशु, दोनों की कोशिकाओं से विकसित यह ‘काल्पनिक जीव’ तैयार करने के लिए सुअर के भ्रूण में मानव स्टेम इंजेक्शन के जरिए डाली गईं। फिर उस भ्रूण को मादा सुअर के गर्भ मे स्थापित किया गया। मानव स्टेम की कोशिकाओं ने विकसित होकर सुअर के भ्रूण के ऊतकों के हिस्से निर्मित किए।
शोधकर्ताओं ने बताया इन भ्रूणों को 28 दिन बाद मादा सुअर के गर्भ से निकाल लिया गया। इसलिए ये सुअर शावक के रूप मे विकसित नहीं हो सके। शोधकर्ताओं ने कहा कि सुअर के भ्रूण में विकसित होने वाले मानव ऊतकों की मात्रा ‘कम’ थी।
यह प्रयोग सान डियागो स्थित साल्क इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल स्टडीज और स्पेन की कैथोलिक यूनिवर्सिटी ऑफ मुरिका के शोधकर्ताओं ने किया है। इस प्रयोग मे सुअर के लगभग डेढ हजार भ्रूणों और कुछ बच्चों के शरीर से खतना के दौरान हटाई गई त्वचा से ली गई स्चेम कोशिकाओं का इस्तेमाल किया गया।
हालांकि, वैज्ञानिकों के एक वर्ग का कहना है कि सुअर के भ्रूण में अधिक मात्रा में मानव डीएनए डालने के गंभीर परिणाम भी हो सकता है। इससे मानव मस्तिष्क या चेहरे वाला सुअर पैदा हो सकता है। साथ ही चिंता यह भी है कि इस कतरह का तैयार किए गए अगों से भविष्य में मनुष्य में सुअरों में पाए जाने वाले वायरस पहुंच सकते है। दो जीव प्रजातियों को जैविक तौर पर मिलाने से मानवीय मनोविज्ञान पर भी असर पड़ सकता है।
लेकिन इस तकनीक से प्रत्यारोपण के लिए जरूरी अंगों की पर्याप्ता उपसब्धता सुनिश्ति होने की उम्मीद की जा सकती है।
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