
नई दिल्ली। कई सालों से सिंगल लोग, लोगों के विचारों में बदलाव लाने के लिए चिल्ला रहे हैं परन्तु पहले दिए गए प्रमाणों का कोई अधिक असर नहीं पड़ा है। परन्तु इन लोगों के प्रति हमारी जो धारणा है उससे इन्हें बचाने के लिए अब विज्ञान इन के साथ है। हाल ही में की गयी खोज ने सिंगल लोगों के बारे में कम से कम एक विकल्प को सत्यापित किया है। सिंगल रहने के साथ कई बातें जुडी हुई होती हैं जैसे तनावपूर्ण और अकेला, अर्थपूर्ण और पूर्ण जीवन न जीना, साथी पाने के लिए उत्सुक रहना आदि।

वैवाहिक जीवन का आनंद केवल हनीमून की अवधि तक ही सीमित रहता है। स्वाभाविक तौर से नए शादीशुदा जोड़े शादी से पहले की तुलना में अधिक खुश होने का दावा करते हैं परंतु जब एक दूसरे के प्रति अच्छे होने का भाव उतर जाता है तो लोग खुशी या गम के उसी स्तर पर पहुँच जाते हैं जहाँ वे शादी से पहले थे। इसके अलावा जब स्वर्ग में (घर में) परेशानी होती है तो घर में खुशी का स्तर पहले से कम हो जाता है जिसके कारण खुशी के बजाय दुःख बढ़ता जाता है।

इसके विपरीत शादीशुदा लोगों की तुलना में सिंगल लोगों के मित्र अधिक होते हैं। ये सामाजिक संबंधों से अच्छी तरह जुड़े होते हैं तथा अपने मित्रों, परिवार और सहकर्मियों के ऊपर खर्च भी करते हैं।
जिम्मेदारियां कई रूपों में आती हैं तथा इस सूची में शादी भी आती है।
शोध से पता चला ही कि सिंगल लोग समाज में सार्थक योगदान देते हैं तथा ये लोग ऐसी गतिविधियों में संलग्न रहते हैं जिससे बहुत सारे लोगों को लाभ पहुँचता है। अधिकाँश लोग ऐसा मानते हैं कि जो लोग अकेले रहना पसंद करते हैं वे सुखवादी होते हैं परन्तु ऐसा नहीं है
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