loading...

ईश्वर और ‘उसकी’ रचना देखिये .....




ईश्वर और ‘उसकी’ रचना

“सम्पूर्ण ब्रह्मांड में प्रत्येक सृजित वस्तु और कुछ नहीं, ’उसके‘ (ईश्वर के) ज्ञान की ओर जाने वाला द्वार है।”
— बहाउल्लाह

बहाई पावन लेखो में समझाया गया है कि ईश्वर की वास्तविकता किसी भी नश्वर मस्तिष्क की समझ से परे है, हालाँकि हम प्रत्येक सृजित वस्तु में ’उसके‘ गुणों की अभिव्यक्तियाँ पा सकते हैं। सभी युगों में ‘उसने’ उत्तरोत्तर दिव्य संदेशवाहक भेजे हैं, जिन्हें हम ईश्वर के अवतारों के रूप में जानते हैं। ये संदेशवाहक मानवजाति को शिक्षा और मार्गदर्शन प्रदान करते हैं और सम्पूर्ण जनसमुदाय का उद्बोधन कर सभ्यता को उस हद तक विकास करने की क्षमता प्रदान करते हैं जिस हद, तक कभी सम्भव नहीं हो पाया था।

1. प्रकटीकरण 


सम्पूर्ण ब्रह्मांड का रचयिता ईश्वर सर्वज्ञाता है, सर्वप्रिय और सर्वदयालु है। जिस प्रकार भौतिक सूर्य पूरे विश्व को प्रकाश देता है उसी प्रकार समस्त सृष्टि पर ईश्वर का प्रकाश आच्छादित है। अब्राहम, कृष्ण, जरथुस्थ, मूसा, बुद्ध, ईसा मसीह, मुहम्मद और हाल के समय में बाब और बहाउल्लाह जैसे ईश्वर के अवतारों की शिक्षाओं के माध्यम से मानवजाति की आध्यात्मिक, बौद्धिक और नैतिक क्षमतायें परिष्कृत हुई हैं।

2. प्रकृति 



इस प्राकृतिक संसार का सौन्दर्य, इसकी समृद्धि और विविधता - ये सभी ईश्वर के गुणों की अभिव्यक्तियाँ हैं। ये हमें प्रकृति का अगाध सम्मान करने के लिये प्रेरित करते हैं। मानवजाति के पास अपने-आप को प्रकृति के संसार से स्वाधीन कर लेने की क्षमता है और, प्रचुर संसाधनों के इस भू-मंडल के प्रबंधक के रूप में, धरती के कच्चे माल का सदुपयोग करने की जिम्मेदारी मानवजाति की है ताकि इसकी सरसता बनी रहे, यह सभ्यता के विकास में अपना योगदान दे सके।

3. एक निरन्तर प्रगतिशील सभ्यता 


मानवजाति शैशवावस्था और बाल्यावस्था के काल गुजर कर आज सामूहिक परिपक्वावस्था की दहलीज पर खड़ी है, जिसकी पहचान एक विश्व व्यापी सभ्यता में सम्पूर्ण मानव नस्ल की एकता होगी। आध्यात्मिक और भौतिक - दोनों रूप से समृद्ध इस सभ्यता का उद्भव इसका सूचक होगा कि जीवन के आध्यात्मिक और व्यावहारिक पक्ष एक सररसतापूर्ण वातावरण में साथ-साथ विकास करें।   
loading...
Previous Post
Next Post
loading...
loading...

0 comments: