जजों की नियुक्ति जैसे मुद्दों पर न्यायपालिका और विधायिका में भले ही टकराव देखने को मिलता हो, लेकिन जजों के वेतन बढ़ाने के मामले में दोनों की एक राय दिखी. दरअसल शीर्ष अदालत ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट जजों के वेतन-भत्तों में इजाफे का प्रस्ताव दिया, जिसे एनडीए सरकार ने मंजूरी दे दी है.
अब नए वेतन नियमों के अनुसार, भारत के प्रधान न्यायाधीश को भत्तों के अलावा 2.8 लाख रुपये मासिक वेतन मिलेगा. इससे पहले उन्हें सरकारी आवास, वाहन और दूसरे भत्तों के अलावा प्रति माह 1 लाख रुपये का वेतन मिला करता था.
जजों के वेतन में संसोधन संबंधी यह प्रस्ताव अब जल्द ही मंजूरी के लिए केंद्रीय कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा. इसके बाद विधि मंत्री इस विधेयक को संसद में पेश करेंगे.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों के वेतन में हर 10 साल में संसोधन किया जाता है. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट की समिति ने प्रस्ताव दिया था, हालांकि सरकार ने उनके सभी प्रावधानों को नहीं माना है. जैसे इस समिति ने सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस का वेतन 3 लाख प्रति माह (भत्तों को छोड़कर) करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन सरकार ने इसे 2.8 लाख प्रति माह रखा है. उसी तरह हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस तथा सुप्रीम कोर्ट जजों का वेतन 2.5 लाख रुपये प्रति माह तथा हाईकोर्ट जजों का वेतन 2.25 लाख रुपये का प्रस्ताव है.
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