
बेंगलुरू: बेंगलुरू के एक कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर तथा एलजीबीटी (समलैंगिकों के अधिकारों के लिए प्रयासरत) कार्यकर्ता एशली टेलिस को 'कॉलेज विरोधी गतिविधियों' में लिप्त होने तथा 'स्नातक उपाधि के लिए पढ़ रहे विषमलिंगी पृष्ठभूमि के विद्यार्थियों की भावनाओं व संवेदनाओं को ठेस पहुंचाने' के चलते निष्कासित कर दिया गया है. प्रोफेसर एशली टेलिस बेंगलुरू के सेंट जोसेफ कॉलेज के अंग्रेज़ी विभाग में कार्यरत थे.
प्रोफेसर एशली टेलिस ने सोशल नोटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक पर लिखा, "9 मार्च, 2017 को, बी.कॉम सेकंड ईयर की क्लास के दौरान मुझे सेंट जोसेफ कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज़ के प्रिंसिपल फादर विक्टर लोबो से तुरंत मिलने के लिए कहा गया... जब मैं वहां पहुंचा, तो उन्होंने मुझे अपने दफ्तर के बाहर 10 मिनट तक इंतज़ार भी करवाया, जबकि मेरी क्लास में बच्चे मेरा इंतज़ार कर रहे थे... फिर उन्होंने मुझे बुलाया, और कहा, 'विद्यार्थी आपके व्यक्तिगत विचारों से विचलित हैं... प्रबंधन को भी उन विचारों के बारे में जानकारी मिली है... मुझसे कहा गया है कि आपको तत्काल प्रभाव से आपकी सेवाओं से निवृत्त कर दिया जाए...'"
इसके बाद प्रोफेसर एशली टेलिस ने फेसबुक पोस्ट में पूरी घटना और उसकी पृष्ठभूमि का भी विस्तार से ज़िक्र किया है. उन्होंने कहा, "मैं तो चाहता ही था कि विद्यार्थी विचलित हों... यह अध्यापक का काम है कि वह विद्यार्थियों को विचलित रखे... यदि विद्यार्थी विचलित नहीं होगा, दुनिया में कुछ भी कैसे बदल पाएगा... (विद्यार्थियों का) अस्थिर होना, विचलित होना अध्यापक की उपलब्धि होती है... अध्यापक को निकाले जाने का यह कारण नहीं हो सकता..."
उन्होंने आगे लिखा, "मेरे लिए यह कोई नई कहानी नहीं है... यह पहला मौका नहीं था, जब मेरे साथ ऐसा हुआ, और यह आखिरी मौका भी नहीं होगा... लेकिन विद्यार्थियों से उलट, मैंने न इसे बर्दाश्त किया है, न करूंगा..."
प्रोफेसर के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए कॉलेज ने एक बयान जारी कर कहा है कि उन्हें नवंबर, 2016 में छह महीने के अस्थायी कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त किया गया था, तथा उन्होंने अपनी लैंगिक प्राथमिकताएं अपने आवेदन पत्र तथा इंटरव्यू के दौरान स्पष्ट रूप से बताई थीं. कॉलेज इसे उनकी व्यक्तिगत पसंद मानता है.
बयान में आगे कहा गया, "भले ही हमें उनकी बौद्धिक क्षमता प्रशंसनीय लगती है, लेकिन बाद में हमें यह देखकर तकलीफ हुई कि वह विषमलिंगी पृष्ठभूमि के विद्यार्थियों की संवेदनाओं की तरफ कतई ध्यान देते नहीं लगते थे... विद्यार्थियों तथा उनके अभिभावकों द्वारा कई बार प्रोफेसर एशली के बार-बार अपनी सीमाओं को लांघने की शिकायतें मिलने के बाद प्रबंधन ने निर्णय किया कि उनकी सेवाओं को समाप्त कर देना ही कतई उचित होगा..."
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