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जानिए : हो सकता है मोबाइल के इस्तेमाल से आपको ब्रेन ट्यूमर...

Image result for Zee जानकारी : मोबाइल के इस्तेमाल से आपको हो सकता है ब्रेन ट्यूमर
सबसे पहले हम जिस खबर का विश्लेषण करेंगे वो दरअसल एक खबर नहीं बल्कि एक बहुत बड़ा खुलासा है. ये खुलासा दुनिया भर के 500 करोड़ Mobile Phone उपभोक्ताओं से जुड़ा है. यानी ये खबर दुनिया की 70 प्रतिशत आबादी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इसलिए आज हम भारत ही नहीं बल्कि अमेरिका, यूरोप और United Kingdom में मौजूद DNA के दर्शकों से भी अपील करेंगे कि आप ये खबर ध्यान से देखें..क्योंकि इस विश्लेषण के बाद आपको पता लग जाएगा कि दुनिया की बड़ी-बड़ी मोबाइल फोन कंपनियां कैसे कई वर्षों से आपके साथ एक बहुत बड़ा धोखा कर रही हैं और इन कंपनियों के लालच ने आपके साथ-साथ आपके पूरे परिवार को भी खतरे में डाल दिया है. अगर मैं आपसे कहूं कि आपके Mobile Phone में सिर्फ Tower नहीं बल्कि Tumour के भी सिग्नल हैं तो शायद आपको यकीन नहीं होगा. लेकिन ये सच है.  
All India Institute Of Medical Sciences के एक नये रिसर्च से बहुत बड़ा खुलासा हुआ है. AIIMS की तरफ से जारी की गई इस रिपोर्ट के मुताबिक 10 वर्ष से भी ज़्यादा समय तक Mobile Phone का इस्तेमाल करने से ब्रेन ट्यूमर का खतरा 33 प्रतिशत बढ़ जाता है . लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि मोबाइल कंपनियों द्वारा कराई गई अलग-अलग Studies में हमेशा इस खतरे को कम करके दिखाया जाता है. 
AIIMS की मदद से तैयार किए गये रिसर्च के कुछ महत्वपूर्ण अंश के मुताबिक, ये दरअसल एक Meta Analysis है. यानी एक ऐसा Research जिसे तैयार करते वक्त दुनिया में हुई अलग-अलग Studies का विश्लेषण किया गया है. इस रिसर्च के मुताबिक दुनिया भर में हुए ज़्यादातर सरकारी Research में मोबाइल फोन से ब्रेन ट्यूमर के खतरे की बात कही गईं हैं. लेकिन मोबाइल फोन Industry द्वारा किए गये रिसर्च में इस खतरे को कम करके आंका गया है. यानी Paid News की ही तरह ये एक तरह का Paid Research है. जिसे कुछ कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए तैयार किया जाता है.
AIIMS ने अपने Meta Analysis में ये भी पाया है कि जो Studies मोबाइल फोन Industry द्वारा Funded हैं. उनकी गुणवत्ता अच्छी नहीं होती है. और ऐसी Studies ज्यादातर मौकों पर किसी नतीजे पर भी नहीं पहुंचती हैं. आप कह सकते हैं कि ऐसी Studies को सिर्फ उपभोक्ताओं को भ्रमित करने के लिए तैयार किया जाता है.
Mobile Phones से Electromagnetic Energy Waves निकलती हैं. International Agency For Research On Cancer के मुताबिक ये तरंगें इंसानों में कैंसर का कारण बन सकती हैं . और इनसे ब्रेन ट्यूमर भी हो  सकता है. यानी मोबाइल फोन उतना ही खतरनाक है जितना डीज़ल वाहनों से निकलने वाला धुआं. लेकिन फर्क सिर्फ इतना है कि Electromagnetic Radiation वाले इस प्रदूषण को आप बाकायदा पैसे देकर खरीदते हैं. और फिर ये आपको धीरे धीरे बीमार बनाता रहता है. लेकिन कोई भी कंपनी आपको मोबाइल फोन के खतरों के बारे में नहीं बताती. कोई कंपनी ये नहीं कहती कि उसका Product आपको कैंसर और ब्रेन ट्यूमर दे सकता है. 
मोबाइल फोन लोगों के जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है. भारत की 80 प्रतिशत आबादी मोबाइल फोन का इस्तेमाल करती हैं. मोबाइल ऑपरेटर्स की संस्था Global System Mobile Association GSMA के मुताबिक 2017 में पूरी दुनिया में Mobile Phone Users की संख्या का Projection 500 करोड़ से ज्यादा है. इसी संस्था के मुताबिक अगले 3 वर्षों में Telecom कंपनियों को अकेले भारत में ही 3 करोड़ नए Mobile Phone Users  मिल जाएंगे. यानी भारत में 100 करोड़ से भी ज़्यादा लोगों पर मोबाइल फोन रेडिएशन से होने वाले कैंसर का खतरा है. 
लेकिन मोबाइल फोन कंपनियां Paid Research के ज़रिए ये साबित करने की कोशिश कर रही हैं. कि उनके द्वारा बनाया गया मोबाइल फोन पूरी तरह सुरक्षित है. हमें लगता है ये एक तरह का औद्योगिक आतंकवाद है. ये एक ऐसा झूठ है जिसे आपसे महंगी कीमत वसूलकर आप ही को बेचा जा रहा है.
हम ये नहीं कह रहे  कि आप Mobile Phones का इस्तेमाल करना ही बंद कर दें.. क्योंकि ऐसा करना संभव भी नहीं है. हम सिर्फ ये कह रहे हैं कि कंपनियों को हर हाल में अपने ग्राहकों को मोबाइल Phones और दूसरे Wireless Devices से जुड़े खतरों के बारे में पूरी जानकारी देनी चाहिए. जब सिगरेट के Packets और तंबाकू से बने दूसरे Products पर कैंसर के खतरे का चित्र हो सकता है. तो फिर Mobile Phones के Box पर चेतावनी क्यों नहीं छापी जा सकती ? . जब वाहनों से होने वाले प्रदूषण के बारे में लोगों को बताया जा सकता है, तो फिर Mobile Phones से निकलने वाले खतरनाक Radiation का सच लोगों से क्यों छिपाया जाता है? 
अगर अब भी आपको Mobile Phones के खतरे का अंदाज़ा नहीं लग पा रहा है. तो आपको हमारे विश्लेषण का अगला हिस्सा बहुत ध्यान से देखना चाहिए. अगर आपके घर में भी कोई छोटा बच्चा है, और वो अक्सर आपके Mobile Phones का इस्तेमाल करता है. या फिर आपका बच्चा आपसे मोबाइल फोन दिलवाने की ज़िद करता है.. और आप उसे मोबाइल फोन खरीदकर दे देते हैं. तो आपको तुरंत सावधान हो जाने की ज़रूरत है. छोटे बच्चों के हाथ में Mobile Phones देकर आप उन्हें गंभीर बीमारियां दे रहे हैं. 
इज़रायल के Hadassah Medical School की प्रोफेसर.. डॉक्टर  Devra Davis लंबे समय से Mobile Phone Radiation के खतरों पर रिसर्च कर रही हैं. डॉक्टर Davis का कहना है कि Mobile Phone Radiation  से ना सिर्फ कैंसर का खतरा बढ़ता है. बल्कि पुरुषों में Sperm Count  भी कम हो जाता है. इसके अलावा गर्भावस्था से गुज़र रही महिलाओं के लिए ये Radiation अच्छा नहीं है. इससे जन्म के वक्त बच्चे के दिमाग का आकार छोटा रह सकता है या फिर बच्चा Hyper Activity का भी शिकार हो सकता है. 
अगर आप भी 24 घंटे Mobile Phones से चिपके रहते हैं और अपने बच्चों को भी Mobile Phones से दूर नहीं कर पाते हैं, तो आपको  Devra Davis की वो Speech ज़रूर सुननी चाहिए जो उन्होंने  Melbourne University के एक कार्यक्रम में दी थी. हमें यकीन है कि  Devra Davis की बातें सुनने के बाद मोबाइल फोन से आपका मोह भंग हो जाएगा .
वैसे मज़े की बात ये है कि जब हम Devra Davis का ये Video इंटरनेट पर ढूंढ रहे थे, तब इस Video के Play होने से पहले भी हमें एक mobile Phone का ही Ad दिखाया गया. हो सकता है कि DNA के दौरान ब्रेक में भी आपको Mobile Phones के Ad दिख जाएं. आप में से बहुत सारे लोग इस वक्त DNA भी अपने Mobile Phones पर ही देख रहे होंगे. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आपको Mobile Phones के खतरों के बारे में जानने का अधिकार नहीं है. हमनें AIIMS की रिपोर्ट और विशेषज्ञों से बातचीत के आधार पर एक Radiation Free विश्लेषण तैयार किया है. इस विश्लेषण के दौरान हमनें Mobile Phone के खतरों का पता लगाने के अलावा..ये भी पता लगाया है कि आप इन ख़तरों से कैसे बच सकते हैं. अगर आप भी Mobile Phone का इस्तेमाल करते हैं, तो आपको हमारा ये विश्लेषण किसी भी हालत में Miss नहीं करना चाहिए. 
यहां मैं आपको RF यानी Radio frequency Exposure से बचने के कुछ उपाय भी बताना चाहता हूं. वैसे कुछ मोबाइल फोन कंपनियां अपने User Manual में इसका ज़िक्र करती हैं. तो कुछ कंपनियों के मोबाइल फोन की Setting में जाकर आप Radiation का स्तर जान सकते हैं. लेकिन कंपनियां इन बातों का ठीक से प्रचार नहीं करती हैं. कंपनियां आपको Radiation से बचने की सलाह बहुत छिपा कर देती हैं. ये ठीक ऐसा ही है ..जैसा सिगरेट बेचने वाली कंपनियां कुछ वक्त पहले तक किया करती थीं. सिगरेट बेचने वाली कंपनियां सचित्र चेतावनी को बहुत छोटे आकार में छापती थीं लेकिन धीरे धीरे लोगों और संस्थाओं के दबाव में कड़े नियम बनाए गये. 
ये सच है कि कंपनियां अपने Product से जुड़े खतरों के बारे में लोगों को नहीं बताना चाहती..क्य़ोंकि इससे उन्हें नुकसान हो सकता है..आपके पास जो मोबाइल फोन है..उसमें Legal Information का एक Section होता है.. जिसमें Radiation और उसके खतरों का जिक्र होता है..लेकिन ज्यादातर ग्राहकों को ये बात पता ही नहीं होती..कि उन्हें ये जानकारी कहां से मिलेगी..मैं आपको बताता हूं कि मैंने ये जानकारी मोबाइल में कहां ढूंढी है.
आप अपने मोबाइल फोन में Settings में जाकर About का Section ढूंढिए.,. वहां आपको RF Exposure के बारे में जानकारी मिलेगी.. हालांकि कुछ मोबाइल फोन कंपनियां ये जानकारी नहीं देती हैं. वैसे आप कुछ सावधानियां बरतकर रेडिएशन के खतरे को कम कर सकते हैं. सबसे पहले तो अपने मोबाइल फोन के अपने शरीर से दूर रखें, यानी उसे अपनी किसी भी जेब में बिल्कुल ना रखें. इसके बजाय उसे बैग में रखें.
मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते वक्त उसे अपने सिर से लगाकर ना रखें, क्योंकि यही स्पर्श आगे चलकर ट्यूमर का कारण बन सकता है. मोबाइल फोन पर बातचीत करते वक्त LoudSpeaker का इस्तेमाल करें या फिर AirTube Headset का इस्तेमाल करें, इस तरह के Headset में Metal का इस्तेमाल नहीं होता..Metal की वजह से रेडिएशन का खतरा बढ़ जाता है. जब मोबाइल फोन की ज़रूरत ना हो..तो उसे Airplane Mode पर रखें,ऐसा तब ज़रूर करें जब आपके छोटे बच्चे मोबाइल फोन से खेलने की ज़िद करते हैं. 
Cars, Trains और लिफ्ट में अपने मोबाइल फोन का इस्तेमाल ना करें..क्योंकि ये सभी चीज़े Metal की बनी होती हैं..जो रेडिएशन को बढ़ाती है..जैसे Metal से बने  Microwave में Radiation से खाना गर्म होता है..ऐसे ही Car, Train या लिफ्ट में मोबाइल फोन से निकला रेडिएशन आपके शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है. जब आप सोने जाएं..तो मोबाइल फोन को खुद से दूर रख दें, हो सके तो इसे अपने Bedroom से ही बाहर कर दें. ये कुछ ऐसे Tips हैं..जिन्हें अपनाकर आप Radiation के खतरे से बच सकते हैं.
हम आपसे ये नहीं कह रहे कि आपको मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना बंद कर देना चाहिए.. हम आपसे ये भी नहीं कह रहे कि मोबाइल फोन के विज्ञापन बंद हो जाने चाहिएं.. ये भी हमारे वश में नहीं हैं.. हम सिर्फ आपको जागरूक कर सकते हैं.. और आज हमने यही करने की कोशिश की है. मोबाइल फोन कंपनियों के पास बहुत पैसा है.. उनसे हम और आप तो नहीं लड़ पाएंगे.. लेकिन सरकार चाहे तो लड़ सकती हैं.. और कड़े नियम बना सकती है. भारत सरकार अगर इस मामले में सक्रियता दिखाए तो वो मोबाइल फोन से जुड़े कड़े नियम बनाने वाली एक बड़ी शक्ति बन सकती है.
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