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अद्बुद मेहनत :जम्मू-कश्मीर में पत्थमार नहीं, पत्थरकाट चमत्कार...

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परिश्रम सफलता की कुंजी है. इसलिए जब आप पूरी लगन और मेहनत से कोई काम करते हैं और उसका नतीजा अच्छा होता है, तो मन को काफी संतुष्टि मिलती है. DNA में अब हम एक ऐसी ही ख़बर का विश्लेषण करेंगे. जिसमें 6 वर्षों की साधना है, 52 हज़ार से ज्यादा घंटों तक अलग-अलग Shifts में काम करने वाले हज़ारों मजदूरों का Non-Stop परिश्रम है, और सैंकड़ो इंजीनियर्स का खून पसीना और मेहनत है. 
ये विडंबना है कि जिस कश्मीर में युवाओं के हाथ में पत्थर दे दिए जाते हैं, उसी कश्मीर में पत्थरों और पहाड़ों को काटकर भारत के इंजीनियर्स ने एक Record बना दिया है. मैं भारत में बनी अब तक की सबसे लंबी Road Tunnel यानी पहाड़ों को काट कर बनाई गई, सबसे लंबी सुरंग की बात कर रहा हूं. जम्मू के चेनानी और नाशरी को जोड़ने वाली 9 किलोमीटर लंबी Tunnel बन कर तैयार हो चुकी है. और जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सुरंग का उदघाटन करेंगे, जिसके बाद इसे देश की आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा.
ये सुरंग जम्मू-कश्मीर Highway का हिस्सा है, और इस Tunnel के शुरू होने के बाद जम्मू और कश्मीर के बीच की दूरी करीब 2 घंटे कम हो जाएगी.
अभी चेनानी से नाशरी जाने के लिए 41 किलोमीटर का सफर करना पड़ता है. लेकिन इस सुरंग की वजह ये दूरी घटकर सिर्फ 11 किलोमीटर रह गई है. फिलहाल चेनानी से नाशरी पहुंचने में 2 घंटे से भी ज़्यादा का वक्त लगता है. लेकिन इस सुरंग के रास्ते से जाने पर इस सफर में सिर्फ 15 से 20 मिनट लगेंगे.
ये एक Twin-tube tunnel है. जिसे एशिया की सबसे लंबी Tunnels में से एक कहा जा रहा है. इस सुरंग का निर्माण वर्ष 2011 में शुरू हुआ था और इसे बनाने में करीब 3 हज़ार 720 करोड़ रुपये का खर्च आया है. ये भारत की अब तक की सबसे आधुनिक Road Tunnel है. इस सुरंग में 124 CCTV कैमरे लगाए गए हैं. जिनकी मदद से इस सुरंग से गुज़रने वाले Traffic पर 24 घंटे नज़र रखी जा सकेगी. इस सुरंग में ITCS यानी Integrated Tunnel Control System लगाया गया है. इस एक सिस्टम के ज़रिए, Tunnel के  Ventilation ,  Fire Control, Signal System, Communication और Electric उपकरणों को कंट्रोल किया जा सकेगा.
इतना ही नहीं इस Tunnel के समानांतर एक Escape Tunnel भी बनाई गई है. इस Escape Tunnel का इस्तेमाल दुर्घटना की स्थिति में किया जा सकेगा. यानी अगर किसी वजह से Tunnel के अंदर दुर्घटना हो जाए या रास्ता बंद हो जाए, तो 9 किलोमीटर लंबी Escape Tunnel से Traffic को निकाला जा सकेगा. इसके लिए सुरंग में 29 Passage Roads बनाई गई हैं. 
इस सुरंग पर खराब मौसम का भी असर नहीं पड़ेगा, यानी बर्फबारी के वक्त भी इस Tunnel में Traffic नहीं रुकेगा. इस Tunnel के शुरू होने के बाद, हर रोज़ करीब 27 लाख रुपये के डीज़ल और पेट्रोल की बचत होगी. इस सुरंग का निर्माण ऐसे वक्त में पूरा किया गया है. जब कुछ अलगाववादी तत्व जम्मू-कश्मीर को देश से अलग-थलग करने की कोशिश कर रहे हैं. ये Tunnel ऐसी दूषित सोच के खिलाफ एक करारा जवाब है.
इस सुरंग की गहराइयों में जो शिक्षा छिपी है. उसे आज पूरे भारत को ग्रहण करना चाहिए. भारत में मीडिया, जम्मू-कश्मीर को एक समस्या की तरह पेश करने की कोशिश करता है. लेकिन किसी का ध्यान वहां हो रहे विकास कार्यों पर नहीं जाता है. इसलिए ज़ी न्यूज़ की Developmental Reporting के तहत आज हमने अंधेरे को चीरते हुए. उजाले की तरफ बढ़ने वाली इस सुरंग का एक भव्य DNA टेस्ट किया है, जो आपको ध्यान से देखना चाहिए. अगर Engineers चाहें तो नामुमकिन को भी मुमकिन बना सकते हैं. चेनानी-नाशरी Road Tunnel इसी इच्छाशक्ति का उदाहरण है. पिछले वर्ष दिसंबर में DNA में मैंने आपको दुनिया की सबसे लंबी रेल सुरंग के बारे में भी जानकारी दी थी.
दुनिया की सबसे लंबी और गहरी रेल सुरंग स्विटज़रलैंड में बनाई गई है, जिसकी औपचारिक शुरूआत पिछले साल दिसंबर में की गई थी. इस सुरंग का नाम है Gott-hard Base Tunnel जिसे बनाने में पूरे 17 साल लगे. इस सुरंग की कुल लंबाई है 57 किलोमीटर. स्विटज़रलैंड की Alps पर्वत श्रृंखला में बनी ये रेल सुरंग, दक्षिण और उत्तरी यूरोप को जोड़ने का काम कर रही है. इस रास्ते पर पहले रेल सेवा उपलब्ध नहीं थी, जिसकी वजह से 10 लाख ट्रकों के ज़रिए सामान को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना पड़ता था. लेकिन इस रेल सुरंग के बन जाने के बाद यूरोप में 'मालवाहक परिवहन' की एक नई क्रांति आ गई है. इस सुरंग के बारे में ये भी कहा जा रहा है, कि ये Masterpiece Of Timing, Cost And Policy है.
स्विटज़लैंड और भारत में सुरंग बनाने के लिए पहाड़ों को काटा जा रहा है तो चीन में एक 19 मंज़िला इमारत को ही, सुरंग में बदल दिया गया है. इंजीनियर्स ने ये करिश्मा चीन के Chong-Quing में किया है. चीन के इस इलाक़े में जब Light Train Service शुरू की जा रही थी, तब इस रेल ट्रैक के रास्ते में एक 19 मंज़िला इमारत आ गई, लेकिन रेल लाइन बिछाने के लिए इस बिल्डिंग को गिराया नहीं गया. बल्कि इस इमारत की छठी और आठवीं मंजलि को ही रेलवे स्टेशन में बदल दिया गया. दरअसल Chongquing इलाक़े में आबादी का घनत्व बहुत ज्यादा है, और यहां छोटे से इलाके में करीब 4 करोड़ लोग रहते हैं. 
ऐसे में अगर ये बिल्डिंग गिराई जाती तो इमारत के लोगों को दूसरी जगह बसाना पड़ता, लेकिन इस शहर में जगह की बहुत कमी है. इसलिए इंजीनियर्स ने इस इमारत के बीच से एक Rail Track बिछा दिया. इसके बदले में इस इमारत में रहने वाले लोगों को अपना खुद का रेलवे स्टेशन मिल गया, इस स्टेशन का नाम है Liziba. इस इमारत में रहने वाले लोग इसी स्टेशन से ट्रेन पकड़ते हैं. हैरानी की बात ये है कि ये ट्रेन लोगों के घरों के बीच से होकर गुजरती है, लेकिन इसकी आवाज़ से किसी को परेशानी नहीं होती है, दरअसल इसके लिए Engineers ने एक विशेष तकनीक का इस्तेमाल किया है। जिसकी वजह से जब ये रेल इमारत से होकर गुज़रती है तो आवाज़ ना के बराबर हो जाती है। ये लगभग वैसी ही आवाज़ होती है, जितनी घरों में इस्तेमाल होने वाले DishWashers से आती है।
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