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अमेरिका के "मदर ऑफ ऑल बॉम्ब्स" ने उड़ाई पाकिस्तान की नींद

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अमेरिका के 'मदर ऑफ ऑल बॉम्ब्स' ने बगदादी और उसके चेलों की नींद जरूर उड़ाई होगी, लेकिन डरने की जरूरत रावलपिंडी में मौजूद आईएसआई के आकाओं को भी होगी.
'मदर ऑफ ऑल बॉम्ब्स' से क्यों खुश होगा तालिबान? 
गुरुवार को नंगरहार में अमेरिकी हमले का निशाना आईएसआईएस का खुरासान मॉड्यूल था. ये मॉड्यूल पिछले करीब 2 साल से अफगानिस्तान के पूर्वी हिस्सों मे अफगानी तालिबान को चुनौती दे रहा था. साल 2015 में मुल्ला उमर की मौत के खुलासे के बाद मुल्ला अख्तर मंसूर को तालिबान का सरगना चुना गया. लेकिन संगठन का एक हिस्सा इस फैसले से खुश नहीं था और तालिबान से टूटकर IS के साथ जुड़ गया था. पाकिस्तानी सेना की कार्रवाई के बाद पाकिस्तानी तालिबान के कई आतंकी भी इसी मॉड्यूल में जा मिले थे. लिहाजा इस कार्रवाई ने अफगानी तालिबान के दुश्मनों को ही खत्म करने का काम किया है.
ISI को क्यों है डरने की जरूरत? 
लेकिन इस पर भी ISI के पास खुश होने की वजहें बेहद कम हैं. ISIS के खुरासान मॉड्यूल को पाकिस्तान के कई ऐसे सुन्नी चरमपंथी संगठनों का भी सीधा समर्थन हासिल है जो ISI की उपज हैं. अमेरिकी कार्रवाई पाकिस्तानी सरहद से महज 60 किलोमीटर दूर हुई है. ये इलाका ISI की आतंकी गतिविधियों से हमेशा सरगर्म रहता है. इस हमले के साथ राष्ट्रपति ट्रंप ने दिखाया है कि वो जरूरत पड़ने पर कहीं भी आतंकियों पर धावा बोलने से नहीं चूकेंगे. ये जगजाहिर है कि अफगानी तालिबान के सभी सरगना और उनके परिवार पाकिस्तान के क्वेटा में रहते हैं. लिहाजा ISI को ये चिंता जरूर सताएगी कि क्या ट्रंप के निशाने पर क्वेटा भी होगा?
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