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बड़ी खबर :जनता से किये वादों को नहीं कर सके पूरा केजरीवाल, इसलिए हारे एमसीडी चुनाव...

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नई दिल्ली(26 अप्रैल): एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। 272 सीटों वाली एमसीडी में रुझानों के मुताबिक आप को महज 49 सीटों से संतोष करना पड़ा। 
एमसीडी के नतीजे साफ बताते हैं कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल का जादू नहीं रहा। पहले पंजाब, गोवा और अब एमसीडी में हार केजरीवाल की घटती लोकप्रियता दिखाती है। बात-बात पर केंद्र पर आरोप लगाने वाले केजरीवाल को अब खुद के अंदर झांकने की जरुरत है। देश में एक ओर जहां बीजेपी लगातार जीत हासिल कर रही और इस जीत के लिए दिल्ली के सीएम ईवीएम को जिम्मेदार बताते हैं। 
आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति करने वाले केजरीवाल को अब रणनीति बदलनी होगी। और जनता से किए अपने वादों को पूरा करना होगा। दिल्ली में हुए 2015 विधानसभा चुनाव में उन्होंने जनता से कई वादे किए, लेकिन सत्ता के लालच में लगता है केजरीवाल अपने वादों से दूर हटते जा रहे हैं। दिल्ली में केजरीवाल सरकार को 2 साल हुए है और 3 साल बाद उनको एक बार फिर जनता के बीच में जाना है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि अरविंद केजरीवाल ने अब तक 2 साल में अपने किए वादों को कितना पूरा किया है।
जनलोकपाल बिल
- आम आदमी पार्टी का जन्म ही भ्रष्टाचार के खिलाफ हुआ था। सरकार में आने के बाद केजरीवाल ने लोगों से भ्रष्ट अधिकारियों का स्टिंग करके सरकार को भेजने के लिए कहा। जनलोकपाल बिल को पास करवाने का वादा तो खैर था ही, लेकिन जनलोकपाल बिल हकीकत की शक्ल इख्तियार कर पाया और सरकार का स्टिंग कार्यक्रम भी नाकाम रहा। कोई ये दावा नहीं कर सकता कि दिल्ली के दफ्तरों में अब घूसखोरी की बीमारी नहीं है।
वीआईपी कल्चर है बरकरार
- केजरीवाल अपनी पार्टी के नाम की तर्ज पर आम आदमी के सीएम बनने के वादे के साथ सत्ता में आए थे। उन्होंने भले ही लाल बत्ती लेने से इनकार किया। लेकिन जल्द ही उनकी सेक्योरिटी में होने वाले खर्च पर सवाल उठने लगे। उनके सचिवालय में भी पत्रकारों का घुसना कठिन बना दिया गया। उनके चुनिंदा मंत्रियों ने भी ऐसा कोई संकेत नहीं दिया कि वो सत्ता के मद से परे हैं।
महिला सुरक्षा पर ठोस कदम नहीं
- निर्भया कांड के बाद देश की राजधानी में महिला सुरक्षा आम आदमी पार्टी की प्राथमिकताओं में थी। लेकिन इसके लिए सार्वजनिक जगहों पर 10-15 लाख सीसीटीवी लगवाने का वादा पूरा नहीं हो पाया। इसी तरह 10 हजार महिला होमगार्ड की नियुक्ति अब तक नहीं हो पाई है। न ही सरकार डीटीसी बसों में पूरी तरह महिला मार्शल तैनात कर पाई है.
 नहीं मिला फ्री वाई-फाई
- सत्ता में आने के 13 महीने बाद जून 2016 में केजरीवाल सरकार ने शहर में फ्री वाई-फाई नेटवर्क का एक प्लान सामने रखा। इस प्लान के तहत पूर्वी दिल्ली में 3 हजार हॉट स्पॉट पॉइंट से फ्री इंटरनेट देने का ब्लू प्रिंट तैयार हुआ। बाकी दिल्ली में फाइबर नेटवर्क को कमी बताई गई। लेकिन दिल्लीवालों के लिए अब तक फ्री वाई-फाई इंटरनेट एक सपना ही बना हुआ है।
मोहल्ला क्लिनिक का एजेंडा अधूरा
- आम आदमी पार्टी मोहल्ला क्लिनिक को अपनी सबसे नायाब पहल के तौर पर पेश करती रही है। देश और विदेश की मीडिया में इसकी काफी चर्चा हुई भी है। लेकिन हकीकत ये है कि सरकार प्राथमिक उपचार, चुनिंदा टेस्ट और मुफ्त दवाइयां मुहैया करवाने वाले ऐसे सिर्फ 110 क्लिनिक खोल पाई है। इनमें से भी ज्यादातर किराये के कमरों में चलाए जा रहे हैं। जबकि केजरीवाल ने वादा किया था कि 2016 के आखिर तक शहर में ऐसे 1 हजार स्थायी क्लिनिक खोले जाएंगे।
सफाई कर्मचारियों को भूले केजरीवाल
- दिल्ली की सत्ता में आने के बाद केजरीवाल सरकार का झगड़ा नगर निगम से छुपा नहीं है। फंड न देने की वजह से पिछले डेढ़ साल में कई बार दिल्ली कूड़े का ढेर बनी। लेकिन चुनावी वादे के मुताबिक, अभी तक सरकार की तरफ से सफाई कर्मचारियों को मेडिकल बीमा, सीवर की सफाई के लिए मास्क और कर्मचारी की मौत पर 50 लाख रुपये मुआवजा देने का कोई एलान नहीं किया है।
डेढ़ लाख जनशौचलायों का वादा—
- केजरीवाल सरकार ने वादा किया था कि झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाकों में 1.5 लाख शौचालयों का निर्माण करेगें। 50,000 सार्वजनिक शौचालय बनाये जाएगें। इनमें से एक लाख शौचालय महिलाओं के लिए होंगे। लेकिन फरवरी 2017 तक सिर्फ 957 शौचालय ही बन पाये थे और 3,318 शौचालयों पर काम हो रहा था।
500 नये स्कूलों के निर्माण का वादा
—केजरीवाल ने 500 नये स्कूल खोलने का वादा किया था, लेकिन सरकार यह वादा भी पूरा नहीं कर पायी। 20 नये कालेज देने का वादा भी केजरीवाल अभी तक पूरा नहीं कर सके हैं।
यमुना की सफाई के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट का वादा
- आप संयोजक ने दिल्ली के सीवरेज को 100 प्रतिशत एकत्र करके उसकी सफाई करने के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट नेटवर्क देने की बात कही थी, जो अभी तक पूरा नहीं हुआ है। लेकिन यमुना रिवर फ्रंन्ट और छठ घाटों जैसे कंक्रीट के निर्माण से यमुना की सफाई करने का दिखावा कर रहे हैं।
- अन्य मुद्दें
इसके अलावा केजरीवाल सरकार ने अब तक सार्वजनिक परिवहन को बेहतर बनाने के लिए 3000 छोटी बसें चलाने का वादा भी नहीं निभाया है। इसी तरह नौजवानों को नौकरी देने के मामले में भी खास काम नहीं हो पाया है। झुग्गियों में डेढ़ लाख शौचालय बनाने का वादा किया गया था। लेकिन इनमें से महज 5 हजार बन पाए हैं। ऐसी अवैध कॉलोनियों को नियमित करने का आश्वासन भी कागजों तक ही सिमटा है।
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