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खास खबर :कश्मीर पर PM मोदी की दो टूक- जान बचाकर भी पत्थर खाते हैं हमारे जवान

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सिविल सर्विस डे के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई अफसरों को संबोधित किया. इस मौके पर कश्मीर को लेकर पीएम ने बड़ा बयान दिया, मोदी ने कहा कि हमारे फौजी कश्मीर में बाढ़ आने पर लोगों की जान बचाते हैं, लोग उनके लिए तालियां बजाते हैं. लेकिन बाद में हमारे फौजी पत्थर भी खाते हैं. मोदी ने कहा कि सभी को आत्मचिंतन करना चाहिए, इसमें किसी प्रकार की कोताही नहीं बरतनी चाहिए. पीएम मोदी ने कहा कि 20 साल पहले और आज के हालात में काफी अंतर है. मोदी ने कहा कि अफसरों को शक्ति का एहसास होना चाहिए.
मोदी ने कहा कि पिछले 15-20 वर्षों में कार्यशैली का तरीका बदला है, अब हमारी जिम्मेदारी बढ़ गई है. पीएम ने कहा कि अब लोगों के पास कई तरह के विकल्प मौजूद हैं. हमारी चुनौतियां भी बढ़ गई हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें भी अपनी कार्यशैली को बदलना होगा. सरकार के रहते हुए लोगों को बोझ का एहसास नहीं होना चाहिए.
मोदी ने कहा कि मैं चाहता हूं कि अगले एक साल में काम की क्वालिटी में बदलाव होना चाहिए, सिर्फ सर्वश्रेष्ठ होने से काम नहीं चलता है. अगर सर्वश्रेष्ठ होने का ठप्पा आप पर लगा है तो उसे आदत बनाना जरुरी है.
मोदी ने कहा कि अफसरों को गृहणियों से काफी कुछ सीखने की जरुरत है, वह किस तरह परेशानियों के बावजूद सभी चीजों को मैनेज करती है. मोदी ने कहा कि गृहिणी परिवार को नई ऊंचाई पर ले जाती है, वही जिम्मेदारी आपकी भी है. पीएम ने कहा कि वरियता क्रम का बोझ अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा है, हमें अपने अनुभव को बोझ नहीं बनने देना चाहिए.
मोदी ने कहा कि हमें गर्व होना चाहिए कि जहां मैंने काम किया कि उस काम को मेरे जूनियर ने आगे बढ़ाया. मोदी बोले कि हम सभी एक साथ मिलकर काम करना होगा. मोदी ने कहा कि सिविल सर्विस की सबसे बड़ी ताकत को खोने नहीं देना चाहिए, अफसरों की सबसे बड़ी ताकत अनामिका है. जो कि अफसर की सोच और उसके विजन को दर्शाती है.
मोदी ने कहा कि मैं सोशल मीडिया की ताकत को जानता हूं, सोशल मीडिया के जरिए लोगों को जागरुक किया जा सकता है. जिला लेवल के अफसर भी इसका फायदा उठा सकते हैं, वह अफसर इसका फायदा भी उठा रहे हैं.
मोदी ने कहा कि काम के दौरान सोशल मीडिया प र खुद का प्रचार जरुरी नहीं है, सोशल मीडिया का इस्तेमाल जनता की भलाई के लिए करना चाहिए. अपने विवेक से ताकत का इस्तेमाल करना चाहिए.
मोदी बोले कि अगर मैं भी आपकी तरह अफसर होता तो आज सचिव के पद पर होता, 16 साल की नौकरी के बाद आपके बराबर पहुंच पाता. मोदी ने कहा कि मैंने बैठक के दौरान मोबाइल पर रोक लगाई. हर किसी को लगना चाहिए कि देश मेरा है, सरकार मेरी है. सभी लोगों को जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए.
मोदी ने कहा कि अफसरों की काफी ताकत है, आपके साइन बहुत कुछ बदलता है. उन्होंने कहा कि देश की शासन व्यवस्था अफसरों की ऊंगलियों पर मौजूद है. आपको अभाव के बीच भी रास्ते खोजने होंगे. मोदी ने कहा कि अफसरों को अपने हर निर्णय को राष्ट्रहित के तराजू में तौलना चाहिए. इस बात में कभी भी कमी नहीं आनी चाहिए.
प्रगति कार्यक्रम की वजह से कई मामलों को निपटाया, देश में एक ऐसा प्रधानमंत्री आया कि टेक्नॉलाजी का इस्तेमाल करता है इससे मुझे खुशी नहीं मिलती है, प्रगति के काम के लिए मोदी की जयकार ठीक नहीं. प्रगति के जरिये हमनें 15-20 सालों से अटकी पड़ी कई परियोजनाओं को एक दिन में बैठक कर उसे सुलझाया. सरकार के दो विभागों को कोर्ट में झगड़ा नहीं करना चाहिए.
मोदी ने कहा कि एक अफसर अगर फाइल में कुछ गलत लिख दे, तो मामला कोर्ट में चला जाता है और वर्षों तक मामला अटक जाता है. मोदी ने कहा कि इन छोटी वजहों से कई काम अटकते हैं. मैं हमेशा ही ईमानदार अफसरों के साथ हूं.
मोदी ने कहा कि सरकार आती जाती रहेगी, लेकिन व्यवस्था वहीं रहेगी. उन्होंने कहा कि हमनें बजट के साथ आउटकम डॉक्यूमेंट भी लाये, ये पहली बार हुआ है. आउटपुट सीएजी के लिए अच्छा, लेकिन आउटलुक सीएजी प्लस से भी अच्छा. मोदी ने कहा कि आजादी के 70 साल बाद ये पहली बार हुआ कि बजट 1 फरवरी को पेश हुआ और 1 अप्रैल तक उसकी सभी प्रक्रिया पूरी हो गई है.
मोदी ने कहा कि तीन साल में अनुभव किया कि ऐसा कोई काम नहीं हुआ कि मैंने कुछ कहा हो और वह पूरा ना हुआ हो, हर काम को उसके नतीजे के साथ करें.
गंगा सफाई की बात हर कोई करता है, राजीव गांधी के जमाने से इसकी बात चल रही है. कई अफसर गंगा के किनारे पर रहते हैं, उन अफसरों को अपने गांवों में गंगा सफाई के लिए काम करना चाहिए. हमारे संकल्प का माइक्रो मैनेजमेंट करना काफी जरुरी.
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