नई दिल्ली - : धर्मशाला टेस्ट खत्म होने के बाद बीसीसीआई ने अपने ग्रेड सिस्टम में बदलाव करते हुए खिलाड़ियों की फीस डबल कर दी। ग्रेड ए में शामिल खिलाड़ियों को 1 करोड़ की जगह 2 करोड़ रुपये देने की घोषणा हुई। ग्रेड बी में शामिल खिलाड़ियों को 50 लाख की जगह 1 करोड़ और ग्रेड सी में शामिल खिलाड़ियों को 25 लाख की जगह 50 लाख देने का बीसीसीआई ने ऐलान किया।
# साथ ही खिलाड़ियों का मैच फीस भी पहले से बढ़ा दी गई। अब हर टेस्ट साढ़े सात लाख की जगह 15 लाख, हर वनडे में 6 लाख और टी 20 के लिए 3 लाख दिए जाएंगे। लेकिन टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली अपने बोर्ड के इस घोषणा से नाखुश हैं। साथ ही कोच अनिल कुंबले के साथ रवि शास्त्री भी ये कह चुके हैं ये रकम टीम इंडिया के खिलाड़ियों के लिए नाकाफी है।
# विराट की मांग के पीछे सबसे बड़ी वजह है एमएस धोनी और चेतेश्वर पुजारा जैसे खिलाड़ियों का ग्रेड सिस्टम। एमएस धोनी जहां सिर्फ वनडे और टी 20 मैच खेल कर ग्रेड ए में हैं और 2 करोड़ लेते हैं, वहीं चेतेश्वर पुजारा जैसे टेस्ट खिलाड़ी सिर्फ टेस्ट फॉर्मेट में खेलते हैं और ग्रेड ए का हिस्सा हैं। जबकि विराट कोहली जैसे कप्तान के साथ आजिंक्य रहाणे, आर अश्विन और रवींद्र जडेजा क्रिकेट का तीनों फॉर्मेट खेलते हैं और उन्हें भी वही रकम मिलती है जो धोनी और पुजारा जैसे खिलाड़ी को दी जाती है।
# वैसे तो भारतीय क्रिकेटरों के पास पैसों की कोई कमी नहीं है, लेकिन विराट की ये लड़ाई पैसों की नहीं बल्कि हक की है। विराट कोहली का ये मानना है कि उन्हें दुनिया के बाकी देशों के खिलाड़ी की तुलना में काफी कम रकम दी जा रही है। अगर देखे तो ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव स्मिथ को 1.2 मिलियन डॉलर यानि कि करीब साढ़े सात करोड़ रुपये मिलते हैं। इंग्लैंड के खिलाड़ियों को 7 लाख पोंड यानि कि करीब साढ़े पांच करोड़ रुपये मिलते हैं।
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# जाहिर है विराट कोहली जैसे भारतीय कप्तान की मांग बिल्कुल उचित है, क्योंकि बीसीसीआई के पास पैसों की कोई कमी नहीं है। बल्कि लगता है कि दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड की नीयत में ही खोट है।
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