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बड़ी खबर : सुप्रीम कोर्ट ने कहा - ला सकते हैं तीन तलाक पर कानून...

# तीन तलाक के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को भी ऐतिहासिक सुनवाई जारी रही. कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा कि अगर जरूरत पड़ती है तो वह तीन तलाक पर कानून भी ला सकते हैं. सुनवाई के दौरान जस्टिस ललित ने अटॉर्नी जनरल से पूछा कि अगर हम तीन तलाक खत्म करते है, तो आगे क्या रास्ता है. जिसके जवाब में मुकुल रोहतगी ने कहा कि हम इसको लेकर एक कानून लाएंगे. रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि सभी प्रकार के तलाक बुरे हैं. कोर्ट ने कहा कि हम इस देश में मौलिक अधिकार और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के संरक्षक हैं.
# सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं को समान अधिकार नहीं मिल पाये हैं, जबकि दूसरे देशों में भारत के मुकाबले मुस्लिम महिलाओं के पास काफी अधिकार हैं. तीन तलाक समाज, देश और दुनिया में मिल रहे अधिकारों से मुस्लिम महिलाओं को वंचित रखता है.
# इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बहुविवाह और निकाह हलाला की भी समीक्षा होगी. मुकुल रोहतगी ने कोर्ट से इसकी मांग की थी. कोर्ट ने कहा कि अभी तीनों मामले पर सुनवाई करने के लिए समय काफी कम है. कोर्ट ने कहा कि वह अभी सिर्फ ट्रिपल तलाक पर भी सुनवाई करेंगे. इससे पहले पिछले सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि बहुविवाह की समीक्षा नहीं होगी.
हम क्यों नहीं खत्म कर सकते तीन तलाक?
# सुनवाई के दौरान मुकुल रोहतगी ने कहा कि अगर सऊदी अरब, ईरान, इराक, लीबिया, मिस्र और सूडान जैसे देश तीन तलाक जैसे कानून को खत्म कर चुके हैं, तो हम क्यों नहीं कर सकते. 
# आपको बता दें कि ट्रिपल तलाक को लेकर 11 मई से सुनवाई चल रही है. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम सिर्फ ये समीक्षा करेंगे कि तलाक-ए-बिद्दत यानी एक बार में तीन तलाक और निकाह हलाला इस्लाम धर्म का अभिन्न अंग है या नहीं. कोर्ट इस मुद्दे को इस नजर से भी देखेगा कि क्या तीन तलाक से मुस्लिम महिलाओं के मूलभूत अधिकारों का हनन हो रहा है या नहीं.
असंवैधानिक है तीन तलाक- जेठमलानी
# सुनवाई के दौरान सीनियर वकील राम जेठमलानी भी तीन तलाक की एक पीड़िता की ओर से पेश हुए. उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 सभी नागरिकों को बराबरी का हक देते हैं और इनकी रोशनी में तीन तलाक असंवैधानिक है. जेठमलानी ने दावा किया कि वो बाकी मजहबों की तरह वो इस्लाम के भी छात्र हैं. उन्होंने हजरत मोहम्मद को ईश्वर के महानतम पैगंबरों में से एक बताया और कहा कि उनका संदेश तारीफ के काबिल है.
# पिछली सुनवाई में जेठमलानी ने कहा था कि , 'कुरान कहती है कि आप अगर ज्ञान की तलाश में हैं तो अल्लाह की राह पर हैं. एक ज्ञान के साधक की स्याही शहीद के खून से ज्यादा महान है.' जेठमलानी की राय में महिलाओं से सिर्फ उनके लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं हो सकता और सुप्रीम कोर्ट में तय होने वाला कोई भी कानून भेदभाव को बढ़ावा देने वाला नहीं होना चाहिए.
इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं 'तीन तलाक'
# बहस की शुरुआत एक याचिकाकर्ता शायरा बानो के वकील ने की थी. उनका कहना था कि तीन तलाक इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है. ज्यादातर मुस्लिम देशों ने तीन तलाक को खत्म कर दिया है. इन देशों में तलाक के लिए न्यायिक आदेश जरूरी हैं. तलाक एकतरफा नहीं हो सकता.
तीन तलाक- गैर इस्लामी
# मुस्लिम महिला आंदोलन की तरफ से जकिया सोमन के वकील आनंद ग्रोवर ने बहस की थी. उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट और गुवाहाटी हाई कोर्ट के फैसलों के हवाला दिया और कहा कि दोनों ही फैसलों में तीन तलाक को गैर इस्लामी बताया है. उन्होंने ये भी कहा कि तीन तलाक का प्रावधान दरअसल अंग्रेजों का बनाया हुआ कानून है जिसे इस्लाम धर्म में गुनाह माना गया है.
19 मई तक रोजाना सुनवाई
# आपको बता दें कि पहले से तय समय के मुताबिक सुनवाई 19 मई तक जारी रहेगी. इस दौरान बेंच रोजाना इस मामले पर सुनवाई करेगी.
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