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क्या आतंकवाद है कश्मीर में कैश वैन लूट की घटनाओ का कारण

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पत्थरबाजी, लूट और आतंकी घटनाओं में आई तेजी इस बात की ओर इशारा कर रही है कि इसमें इन लोगों का साथ देने वाला कोई अपना ही है।


नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। पिछले कुछ समय में जम्मू-कश्मीर में लूट की घटनाओं में तेजी देखने को मिली है। पिछले दो ही दिन में कैश लूट और बैंक डकैती की दो घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इस तरह की घटनाएं पहले क्यों नहीं देखने को मिली इस सवाल का जहन मे उठना बेहद लाज़मी है। इसकी वजह जानने के लिए हमें करीब छह माह पहले हुई घटनाओं पर नजर डालनी होगी। पिछले साल दिसंबर में ही मोदी सरकार ने नोटबंदी की घोषणा की थी। इस नोटबंदी के पीछे सबसे बड़ी वजह घाटी में फैल रहे आतंकवाद और पत्थरबाजी की घटनाओं को खत्म करना था। नोटबंदी के अचानक लिए गए फैसले के बाद इन दोनों चीजों में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली थी। इसकी वजह साफ थी कि घाटी में आतंकियों को पैसे की सप्लाई रुक गई थी और कुछ समय के लिए यह पूरी तरह से बंद हो गई थी।
आतंकियों के पास धन के साथ हथियारों की भी कमी
नोटबंदी के बाद आतंकियों के पास धन के साथ-साथ हथियारों की भी कमी हो गई थी, जिसके बाद हथियारों की लूट की घटनाएं सामने आई थीं। लेकिन जब नई करेंसी की सप्लाई फिर शुरू हुई तो यह फिर से शुरू हो गई। हाल के दो दिनों में हुई लूट की वारदातें इस ओर साफ इशारा कर रही हैं कि इसके पीछे आतंकियों और उनके आकाओं के पास धन की कमी हो गई है। इसलिए ही कैश वैन ओर बैंकों को निशाना बनाया जा रहा है। आतंकियों के पास हो रही धन की कमी को पूरा करने के लिए ही इस तरह की लूट को अंजाम दिया जा रहा है। ताकि उनका आतंक फैलाने का मकसद धीमा न पड़ सके।
कोई अपना भी हो सकता है भेदिया
पत्थरबाजी, लूट और आतंकी घटनाओं में आई तेजी इस बात की ओर इशारा कर रही है कि इसमें इन लोगों का साथ देने वाला कोई अपना ही है। बिना अपनों की मदद से इस तरह की घटनाओं को अंजाम देना आसान नहीं है। सुरक्षाबलों ने इस वर्ष अब तक काफी मात्रा में असलाह और बारूद बरामद किया है। लूट की घटनाओं के पीछे आतंकियों का मकसद काफी कुछ साफ है। पहला हथियारों की खरीद और दूसरा घाटी में अशांत माहौल बनाने वालों को उनकी कीमत देना। जम्मू-कश्मीर में मौजूद आतंकियों को हथियारों की सप्लाई को मुश्किल काम नहीं है। इसकी काफी कुछ कमी तो पाकिस्तान मे मौजूद हथियारों की अवैध फैक्टरियां ही पूरा कर देती हैं। यह फैक्टरियां पश्चिमी पाकिस्तान में वर्षों से फलफूल रही हैं। इस पर सरकार की पूरी निगाह है और यह पुलिस की देखरेख में ही चलती भी हैं।
पत्थरबाजों में लड़कियां भी शामिल 
हाल के कुछ दिनों मे अलगाववादी अपनी कुछ मंशाओं मे सफल होते भी दिखाई दे रहे हैं। यही वजह है कि उनका और आतंकियों का नेटवर्क तेजी से काम कर रहा है। यही वजह है कि पिछले कुछ समय मे पत्थरबाजी की घटनाओं मे फिर तेजी आई है। इस बार इसमें स्कूल और कॉलेज की लडकियां भी शामिल हो गई हैं। केंद्र सरकार को इस बारे मे जरूर सोचना पड़ेगा। यहां पर एक और बात काफी अहम है। और वह ये है कि पिछले दिनों पत्थरबाजी से घायल हुई एक स्कूल की लड़की जिसे एक प्रेस फोटोग्राफर उठाकर अस्पताल ले जा रहा था कि तस्वीर काफी वायरल हुई थी। बाद में इस लड़की ने कहा था कि अब वह इस तरह की घटना में शामिल नहीं होगी। सरकार को चाहिए कि वह ऐसे बच्चों से शांति की अपील करवाए।
सुधार की कोशिशें- जेईई में जम्मू कश्मीर की धमक
जम्मू-कश्मीर में अशांति के बीच इस बार आर्मी के सुपर 40 कोचिंग के 28 बच्चों ने इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा पास करते हुए इस बार रिकॉर्ड कायम किया है। इसमें 9 बच्चे दक्षिण कश्मीर, 10 कश्मीर, 7 करगिल/लद्दाख और 2 जम्मू क्षेत्र से शामिल हैं। सुपर 40 के 26 लड़कों और दो लड़कियों ने आईआईटी-जेईई मेन, 2017 में सफलता हासिल कर ली है। 78 प्रतिशत की सफलता दर के साथ कश्मीर सुपर 40 अब आईआईटी के बेहतरीन कोचिंग सेंटर्स में शामिल हो गया है। सुपर 40 की क्लास श्रीनगर में आर्मी के प्रशिक्षण सहभागी, सेंटर फॉर सोशल रिस्पॉन्सीबिलिट एंड लर्निंग और पेट्रोनेट एलएनजी द्वारा साल 2013 से चलाई जा रही हैं. इस साल इस कोचिंग का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन है। केंद्र को चाहिए की वह घाटी में इन्हीं लोगों को शांति के दूत के तौर पर सामने लाए।
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