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श्री खाटू श्याम जी के अन्य प्रसिद्ध नाम...

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वीर बर्बरीक ने जब भगवान श्री कृष्णा को अपना शीश दान में दिया तब इस बलिदान के लिए भगवान श्री कृष्णा ने वीर बर्बरीक के शीश को अमरत्व का वरदान दे कर उन्हें अपने नाम “श्याम ” से कलीकल (कलियुग) में घर घर पूजित होने का वरदान दे दिया . कलिवुग में बर्बरीक जी का शीश खट्वा नगरी (खाटू धाम ) से धरा से अवतरित हुआ . अत: इन्हे खाटू श्याम जी के नाम से पूजा जाता है

मोर्विनंदन श्याम  -

महर्षि वेद व्यास जी जिन्होंने महाभारत की रचना की थी , उन्ही के द्वारा लिखी गयी स्कन्द्पुराण में बताया गया है की वीर बर्बरीक की माता मोर्वी (कामनकंता ) और पिताश्री महाबली भीम थे 
अत: माँ मोर्वी के लाल को मोर्विनंदन श्री श्याम से भी पुकारा जाता है .

शीश के दानी  -

# शीश दान करने के बाद इन्हे शीश के दानी के नाम से भी जाना जाता है .
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 लखदातार -

 # भाग्य  दातार -देने वाला अत: भाग्य को चमकाने वाला खाटू श्याम हमारा | भरपूर देने वाला |  खाली झोली भरने  वाला भाग्य जाने वाला .

लीले का अश्वार -

#बर्बरीक के नीले घोड़े जिसका नाम था लीला उनपे सवार होने के कारण इनके लीले का अश्वार भी कहा जाता है.

# तीन बाण धारी -

वीर बर्बरीक जी के पास 3 ऐशे बाण थे जिस से वो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को जीत सकते थे . इसमे कोई शंका नही की उन जेसा धनुर्धर न हुआ था न ही कोई होगा . श्री कृष्णा ने इसी वजह से उनका शीश दान में लेकर उन्हें युद्ध से वंचित रख दिया था .

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हारे का सहारा -

खाटू श्याम जी कलियुग देव को हारे के सहारे के नाम से भी जाना जाता है क्योकि जब भक्त हर दर पर अपने आप को खाली हाथ पाता है तब खाटू श्याम जी मंदिर में उसकी पुकार सुनी जाता है
और भक्त यही गुनगुनाता है . 
मैं भी जग से हार के आया , थाम ले मेरा हाथ

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