# 27 जुलाई को नागपंचमी है। हर हिन्दू नागपंचमी पर नाग देवता की पूजा-अर्चना करता है लेकिन पूजा में कुछ अंधविश्वास भी हैं कि नाग को दूध पिलाने से नाग देवता प्रसन्न होते हैं जबकि ऐसा नहीं है !
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# नाग कभी भी दूध नहीं पीता बल्कि कोई भी पेय नहीं पीता। यदि भूलवश दूध गले के नीचे उतरा भी तो नाग की मौत हो जाती है, जैसे हमारे फेफड़ों में कुछ भी चला जाए तो मृत्यु का कारण बन जाता है !
# फिर ऐसे में पूजा किस काम की? फल मिलने के बजाए नाग देवता की मृत्यु का दोष लग सकता है। नागदोष शापित हो सकते हैं !
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# नाग देवता को कोयले से घर के द्वार पर रेखांकन करने का चलन है। यदि गाय के शुद्ध घी से नाग बनाकर उसकी पूजा की जाए तो फल कई गुना बढ़ जाता है।
# नागपंचमी पर जिस जातक की पत्रिका में कालसर्प नाम का दूषित योग हो, उनको त्र्यम्बकेश्वर जाकर कालसर्प दोष की पूजा करवाना शुभ फलदायी रहता है। घी के नाग बनाकर पूजन किया जाए, तब दोष कम किए जा सकते हैं।
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# पूजन में पुष्प, कंकू, अक्षत आदि लेकर घी से बने नाग की पूजा कर दाल-बाटी व लड्डू-चूरमे का भोग लगाएं व मन से प्रार्थना करें कि 'हे नाग देवता! मेरे जन्म के समय जो अशुभ योग हैं उसे दूर कर शुभता प्रदान करें व मेरे कार्यों में आ रही बाधा दूर करें। मेरे कार्यों में सफलता प्रदान करें।'
# इस प्रकार पूजा-अर्चना करने से आपको अवश्य ही लाभ होगा।
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