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जानिए :विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजन विधि और

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पूजा का महत्त्व -

# हिन्दू समाज में माता सरस्वती साहित्य, संगीत, कला तथा विद्या की देवी के रुप में प्रतिष्ठित हैं। यह पर्व बिहार राज्य तथा उत्तर प्रदेश में बड़े ही धुमधाम से मनाया जाता है। यही नहीं बिहार प्रान्त के निवासी जहां भी रहते हैं सरस्वती पूजन अवश्य ही करते हैं। इस पर्व को मनाने का मुख्य उद्देश्य है शिक्षा की महत्ता को जन-जन तक पहुचाना। शिक्षा के प्रति जन-जन के मन-मन में अधिक उत्साह भरने-लौकिक अध्ययन और आत्मिक स्वाध्याय की उपयोगिता के महत्त्व को समझने के लिए भी सरस्वती पूजन की परम्परा है।
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मां सरस्वती के पूजन की विधि -

सबसे पहले माता सरस्वती का ध्यान करें
या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता !
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना !!
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता !
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा !!
शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमांद्यां जगद्व्यापनीं !
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यांधकारपहाम् !!
हस्ते स्फाटिक मालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम् !
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम् !!
# ज्ञान और वाणी के बिना संसार की कल्पना करना भी असंभव है। माता सरस्वती इनकी देवी हैं। अत: मनुष्य ही नहीं, देवता और असुर भी माता की भक्ति भाव से पूजा करते हैं। सरस्वती पूजा के दिन लोग अपने-अपने घरों में माता की प्रतिमा की पूजा करते हैं। पूजा समितियों द्वारा भी सरस्वती पूजा के अवसर पर पूजा का भव्य आयोजन किया जाता है।

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# सरस्वती पूजा करते समय सबसे पहले सरस्वती माता की प्रतिमा अथवा तस्वीर को सामने रखना चाहिए। इसके बाद कलश स्थापित करके गणेश जी तथा नवग्रह की विधिवत् पूजा करनी चाहिए। इसके बाद माता सरस्वती की पूजा करें। सरस्वती माता की पूजा करते समय उन्हें सबसे पहले आचमन और स्नान कराएं। इसके बाद माता को फूल, माला चढ़ाएं। सरस्वती माता को सिन्दूर, अन्य श्रृंगार की वस्तुएं भी अर्पित करनी चाहिए।

# वसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता के चरणों पर गुलाल भी अर्पित किया जाता है। देवी सरस्वती श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, इसलिए उन्हें श्वेत वस्त्र पहनाएं। सरस्वती पूजन के अवसर पर माता सरस्वती को पीले रंग का फल चढ़ाएं। प्रसाद के रूप में मौसमी फलों के अलावा बूंदियां अर्पित करनी चाहिए। इस दिन सरस्वती माता को मालपुए और खीर का भी भोग लगाया जाता है।
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# इसके बाद सरस्वती देवी की प्रतिष्ठा करें। हाथ में अक्षत लेकर बोलें “ॐ भूर्भुवः स्वः महासरस्वती, इहागच्छ इह तिष्ठ। इस मंत्र को बोलकर अक्षर छोड़ें। इसके बाद जल लेकर ‘एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम्।”

# प्रतिष्ठा के बाद स्नान कराएं: ॐ मन्दाकिन्या समानीतैः, हेमाम्भोरुह-वासितैः स्नानं कुरुष्व देवेशि, सलिलं च सुगन्धिभिः।। ॐ श्री सरस्वतयै नमः।। इदं रक्त चंदनम् लेपनम् से रक्त चंदन लगाएं। इदं सिन्दूराभरणं से सिन्दूर लगाएं। ‘ॐ मन्दार-पारिजाताद्यैः, अनेकैः कुसुमैः शुभैः।
# पूजयामि शिवे, भक्तया, सरस्वतयै नमो नमः।। ॐ सरस्वतयै नमः, पुष्पाणि समर्पयामि।’इस मंत्र से पुष्प चढ़ाएं फिर माला पहनाएं। अब सरस्वती देवी को इदं पीत वस्त्र समर्पयामि कहकर पीला वस्त्र पहनाएं।यह भी पढ़े ➩ अगर आपको धन की कमी सताए तो गुरुवार को करें ये काम...
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