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जानिए : आखिर श्री राम की कैसे हुई मृत्यु - पढ़े पूरी खबर...

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# जिस तरह दुनिया में आने वाला हर इंसान अपने जन्म से पहले ही अपनी मृत्यु की तारीख यम लोक में निश्चित करके आता है। उसी तरह इंसान रूप में जन्म लेने वाले भगवान के अवतारों का भी इस धरती पर एक निश्चित समय था, वो समय समाप्त होने के बाद उन्हें भी मृत्यु का वरण करके अपने लोक वापस लौटना पड़ा था।हम अब तक आप सब को भगवान श्रीकृष्ण और भगवान लक्ष्मण की मृत्यु या यूँ कहे की उनके स्वलोक गमन की कहानी बता चुके है।



# हम सब को पता है दीवाली क्यों मनाई जाती है.क्योंकि इस दिन भगवान राम रावण का वध कर अयोध्या वापस लौटे थे. ऐसे में आज हम आपके लिए एक और जानने योग्य बात लेकर आया हूं और यह बात शायद ही  किसीको पता होगी. दरअसल हम आज बात करने आये है कि राम भगवान की मृत्यु कैसे हुई थी !
# गवान श्री राम की मुक्ति से पूर्व यदि हम उनके जीवनकाल पर नजर डालें तो प्रभु राम ने पृथ्वी पर 10 हजार से भी ज्यादा वर्षों तक राज किया है। अपने इस लम्बे परिमित समय में भगवान राम ने ऐसे कई महान कार्य किए हैं, जिन्होंने हिन्दू धर्म को एक गौरवमयी इतिहास प्रदान किया है। प्रभु राम अयोध्या के राजा दशरथ के सबसे बड़े पुत्र थे !

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#  जिनका विवाह जनक की राजकुमारी सीता से हुआ था। अपनी पत्नी की रक्षा करने के लिए भगवान राम ने राक्षसों के राजा रावण का वध भी किया था।ये तो सभी जानते है कि सीता के धरती में समाहित हो जाने के बाद राम अकेले हो गए थे. ऐसे में उन्होंने अपना राज पाठ विधिवत अपने पुत्रो लव और कुश को सौप दिया था !

# वही पवन पुत्र हनुमान के कारण अयोध्या में एक भी मृत्यु नहीं हुई थी. इसका कारण था कि हनुमान काल को अयोध्या में प्रवेश ही नहीं करने दे रहे थे. जिस कारण बरसो से अयोध्या में किसी की मृत्यु नहीं हुई थी. ऐसे में ब्रह्मा जी के आदेश पर काल साधु का वेश रखकर अयोध्या आया और उसने राम से वचन लिया की अगर किसी ने राम और उनकी बात सुनी या कोई उनके कक्ष में प्रवेश करेगा तो राम को उसका वध करना पड़ेगा !


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# ऐसे में लक्ष्मण राम के कक्ष में आते है और काल को दिए वचन अनुसार राम को लक्ष्मण का वध करना होता है. ऐसे में गुरु वशिष्ठ राम से कहते है कि वे लक्ष्मण का परित्याग कर दे. क्योकि किसी का परित्याग करना उसके वध के सामान होता है. तब लक्ष्मण दुखी होकर अपनी साँस रोककर सरयू नदी में प्रवेश कर जाते है. वही इस बात से राम भी दुखी होते है. और वे भी सरयू नदी में अपने भाई भारत,शत्रुघ्न के साथ पूरी वानर सेना को लेकर इस संसार के बंधनो से मुक्त हो जाते है !

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# वहां पहुंचकर श्री राम सरयू नदी के बिलकुल आंतरिक भूभाग तक चले गए और अचानक गायब हो गए। फिर कुछ देर बाद नदी के भीतर से भगवान विष्णु प्रकट हुए और उन्होंने अपने भक्तों को दर्शन दिए। इस प्रकार से श्री राम ने भी अपना मानवीय रूप त्याग कर अपने वास्तविक स्वरूप विष्णु का रूप धारण किया और वैकुंठ धाम की ओर प्रस्थान किया।

# भगवान राम का पृथ्वी लोक से विष्णु लोक में जाना कठिन हो जाता यदि भगवान हनुमान को इस बात की आशंका हो जाती। भगवान हनुमान जो हर समय श्री राम की सेवा और रक्षा की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठाते थे, यदि उन्हें इस बात का अंदाजा होता कि विष्णु लोक से श्री राम को लेने काल देव आने वाले हैं तो वे उन्हें अयोध्या में कदम भी ना रखने देते, इस तरह से भगवान राम की मृत्यु हुई.  हम ये भी कह सकते है कि भगवान राम ने इस तरह से मृत्यु प्राप्त की !

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