
पाकिस्तान के सिंध प्रांत ने इतिहास रचने की पूरी तैयारी कर ली है। यहाँ पर एक नए कानून के अनुसार जबरन धर्म परिवर्तन कराना अब कानूनन जुर्म होगा। (Yes, it took them this long) और दोषी पाए जाने पर पांच साल की आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।
सिंध प्रांत की सरकार ने गुरुवार को इस नए कानून को अपनी मंज़ूरी दे दी है। और जबरन धर्म परिवर्तन कराने को दंडनीय अपराध घोषित कर दिया है। विधान सभा में पेश किए गए इस अल्पसंख्यक सुरक्षा विधेयक का सभी दलों ने समर्थन भी किया। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के जबरन धर्म परिवर्तन के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं। लेकिन ऐसा पाकिस्तानी इतिहास में पहली बार हुआ है कि देश के किसी राज्य में इसे दंडनीय अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है। इतना ही नहीं दोषी को पीड़ितो को आर्थिक जुर्माना भी देना होगा। इस कानून के तेहत जरबन धर्म परिवर्तन कराए गए शख्श की शादी कराने वाले व्यक्ति को भी तीन साल की सजा और जुर्माना हो सकता है।
नाबालिगों के धर्म परिवर्तन को पूरी तरह गैर-कानूनी घोषित किया गया है।
नए कानून के अनुसार धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति को 21 दिन पहले इसकी सूचना देनी होगी। सिंध विधान सभा में ये विधेयक पाकिस्तान मुस्लिम लीग के हिंदू विधायक नंद कुमार गोकलानी ने 2015 में पेश किया था। नंद कुमार ने इस विधेय को पारित कराने के लिए सभी दलों का आभार भी व्यक्त किया।

पाकिस्तान में करीब 20 लाख हिंदू आबाद है। और उनके अलावा पाकिस्तान में सिख, बौद्ध, ईसाई, बहाई, अहमदिया इत्यादि धर्म के भी अल्पसंख्यक हैं।
गोकलानी को आशा है कि इस नए कानून से हिंदू अल्पसंख्यकों का शोषण रुकेगा और वो पहले से ज्यादा सुरक्षित महसूस करेंगे।
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