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अब पाकिस्तान से परमाणु हमले का खतरा बढ़ा

पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन ने एक बहुत ही चिंता में डालने वाला बयान दिया है। उनका कहना है कि-
पाकिस्तान के परमाणु बम का इस्तेमाल करने का खतरा बेहद बढ़ गया है।

यह बात उन्होंने इंडिया टुडे टेलीविजन के ‘टू द प्वाइंट’ कार्यक्रम में दिए इंटरव्यू में कही है। उनकी राए में पाकिस्तान अपने द्वारा विकसित किए गए छोटे परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की जिम्मेदारी युद्धक्षेत्र में निचले क्रम के अधिकारियों को सौंप देगा। और यह युवा अधिकारी धार्मिक स्तर पर बेहद प्रेरित होंगे और उन में बहुत कम पेशेवर होंगे। जिसका मतलब यह हुआ कि कुछ भी हो सकता है।

मेनन हमारे देश के जानेमाने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रह चुके हैं। अगर वह यह बात कह रहे हैं, तो उनकी बात को बहुत गम्भीरता से लेना होगा। मेनन का कहना है कि भारत के खिलाफ ऐसे छोटे परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का खतरा बढ़ गया है। और अगर इस बात की संभावना है तो उसका मतलब यह हुआ कि पाकिस्तान के साथ परमाणु युद्ध की आशंका बहुत बढ़ गई है। बात और भी चिंताजनक तब हो जाती है जब आप यह सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि भारत इसका जवाब व्यापक परमाणु हथियारों से ही देगा।
मेनन ने कहा कि भारत के परमाणु हथियार पाकिस्तानी आतंकवादियों को हतोत्साहित करने के लिए नहीं हैं।
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उन्होंने कहा  कि-
‘पाकिस्तान के किसी आतंकवादी हमले का जवाब परमाणु हथियार से देने की धमकी किसी मच्छर को मारने के लिए बंदूक का इस्तेमाल करने जैसी होगी और यह भारत के लोगों की समझ से परे होगी।’
पूर्व विदेश सचिव का यह भी कहना था कि भारत की पाकिस्तान नीति को हमेशा वास्तविकता के संदर्भ में नहीं देखा गया है।
मेनन ने 26/11 मुंबई हमले पर अपनी राए दी और कहा कि उन्होंने उस समय लश्कर-ए-तैयबा और POK में स्तिथ आतंकवादी शिविरों के खिलाफ मुंहतोड़ जवाब देने की सलाह दी थी। उस समय उन्होंने तत्कालीन विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी तथा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भारत को मुंहतोड़ जवाब देना की सलाह दी थी। उन्होंने बताया कि मुखर्जी ने उनकी सारी बातों पर सहमति जताई थी। उन्होंने इस मुद्दे पर मनमोहन सिंह की प्रतिक्रिया के बारे में कुछ नहीं बताया। और यह तो हम सब जानते हैं कि अंत में भारत ने कोई सैन्य जवाब नहीं दिया।
मेनन ने मोदी जी द्वारा करवाए गए सर्जिकल स्ट्राइक्स को सही बताया। उन्होंने एक बहुत महत्वपूर्ण बात कही –
‘भारत को निर्णायक सैन्य समाधान के बिना लंबे वक्त तक सीमा पार से आतंकवाद को रोकने के लिए तैयार रहना चाहिए।’
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