दिल्ली के जंतर मंतर पर इजरायल के राष्ट्रपति रियूवेन रिवलिन की भारत यात्रा के खिलाफ मुस्लिम संगठनों ने शुक्रवार को प्रदर्शन किया । प्रदर्शन का नेतृत्व जमीअत उलमा ए हिन्द के अध्यक्ष मौलाना कारी सैयद मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी ने किया । मुस्लिम संगठनों और सामाजिक संस्थाओं ने इजरायल के राष्ट्रपति रियूवेन रिवलिन की भारत यात्रा की निंदा की है क्यूंकि इन्होंने इजरायल को आतंकवादी देश करार दिया है । मुस्लिम संगठनों और सामाजिक संस्थाओं ने केंद्र सरकार को चेताया कि वह आतंकवाद के संबंध में दोहरे मापदंड से बाज आए ।
राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन राष्ट्रपति भवन जाकर दिया गया । इस पर जमीअत उलमा ए हिन्द, जमाते इस्लामी हिंद, ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस मुशावरात, अनहद, एआईयूडीएफ, जामिया कलेक्टिव, ऑल इंडिया तंजीम इन्साफ दिल्ली, मेवात विकास सभा, फिलिस्तीन सॉलिडारिटी कैंपेन लंदन आदि के हस्ताक्षर थे. इस ज्ञापन में भी इजरायल को आतंकवादी देश करार दिया गया और भारत से उसके संबंधों पर पुनर्विचार की मांग की गई ।
दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, मेवात, बंगाल, ओडिशा से आए दो हजार लोग विभिन्न प्रकार के प्लेकार्ड के साथ ‘रिवलिन वापस जाओ’, ‘जालिम से गर यारी है देश से गद्दारी है’ जैसे नारे लगा रहे थे. अनहद द्वारा लगाए गए बोर्ड जो फिलिस्तीन के समर्थन में उसके दिल्ली स्थित दूतावास को भेजा गया था उसपर लोगों ने अपने हस्ताक्षर भी किये ।
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जंतर-मंतर पर मौलाना कारी सैयद मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी ने अपने भाषण में कहा कि जमीअत आतंकवाद के खिलाफ लंबे अरसे से संघर्ष कर रही है । ठीक एक साल पहले 18 नवम्बर के दिन इसी जगह पर आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट का विरोध किया गया था । आज फिर से यहीं इजरायल के खिलाफ विरोध कर रहे हैं, जो दिखाता है कि जमीअत आतंकवाद के संबंध में कोई भेदभाव नहीं करती और न किसी को करने देगी ।
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देश के दूसरे हिस्से में भी इसी तरह के प्रदर्शन हुए । बहराइच में मौलाना हयातुल्लाह कासमी सदस्य कार्यकारिणी जमीअत उलमा ए हिन्द के नेतृत्व में लोगों ने विरोध किया और वहां के कलेक्टर द्वारा राष्ट्रपति को अपना ज्ञापन भेजा । जब पाकिस्तानी नेता आते है तब तो ये मुस्लिम संगठन खुश होते है और अब जब ये इसरायली राष्ट्रपति आये है तो ये प्रदर्शन करने बैठ गए । हम पूछना चाहते हैं कि ये प्रदर्शनकारी उरी अटैक के समय कहाँ थे ? जब बुरहान वाणी नाम का आतंकवादी मरा तब ये कहाँ थे? ये तब कहाँ थे जब संसद पर हमला हुआ था? आख़िर ये लोग इतने संकीर्ण दिमाग़ वाले क्यूँ हैं ?
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