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52 शक्तिपीठो में से एक माँ चिंतपुरणी...

माँ चिंतपुरणी का प्रसिद्द मंदिर 52 शक्तिपीठो में से एक है जहा माँ सती के जले हुए शरीर का एक अंग गिरा था जब भगवान् शिव उन्हें जलते हुए हवन कुंड से ला रहे थे । आज यह जगह बहूत सारे भक्तो के लिए माँ की कृपा पाने का श्र्रदा का केंद्र बन चूका है । देश विदेश से हजारो भक्त माँ से आशीष लेने इस दरबार में आते है । चिंतपुरणी का अर्थ ही है चिंताओ से मुक्ति दिलाने वाली । नाम के अनुसार ही यह माँ पिंडी रूप में कृपा बरसाने वाली है ।


कहा है माँ चिंतपुरणी का मंदिर ?
यह मंदिर हिमाचल प्रदेश में उना जिले में पड़ता है जो की उत्तर दिशा में पच्चिमी हिमालय से और पुर्व में शिवालिक पहाडियो से घिरा हुआ है । यह शहर अच्छी तरह से रोड से दुसरे शहरो से जुडा हुआ है तथा यहा रुखने के लिए बहूत सारी धर्मशालाये और होटल है । मंदिर के अलावा भी पूरा शहर बहूत ही सुन्दर है ।




मंदिर का निर्माण और इसके पीछे की कहानी :

कहते है की पंडित माई दास माँ दुर्गा के बहूत ही परम् भक्त थे और माँ की सेवा में दिन रात लगे रहते थे । एक रात उन्हें एक सुन्दर देवी के दर्शन सपने में होते है जो उन्से पिंडी खोजने के बाद मंदिर बनाने की बात कहती है । सपने को सच्च मान कर पंडित आस पास में पिंडी खोजने में लग जाते है । 

माँ की कृपा से उन्हें पिंडी उसकी जगह मिल जाती है जहा माँ सती का एक अंग गिरा था । इस पिंडी को लेकर माई दास मंदिर का निर्माण छाप्रोह गाँव में किया और रोज माँ की सेवा करते थे । आज यह जगह माँ चिंतपुरणी मंदिर कह्लाता है । आज भी पंडित माई दास के अग्रज ही पूजा का कार्य सँभालते है । माँ छिनमस्तिका के नाम से भी जानी जाती है ।

मंदिर की बनावट :
चिंतपुरणी बस स्टेशन से भवन तक का सफ़र एक भीड भरे बाजार से होकर निकलता है । मंदिर परिसर में एक बहूत पुराना पीपल का पेड है । मंदिर में श्री हनुमान , भगवान् शिव , गणेश जी और भैरो नाथ की मूरत भी है । माँ के दर्शन से पहले भक्त इन देवताओ के दर्शन करके आशीष पाते है । 


मुख्य गर्भग्रह में माँ चिंतपुरणी पिंडी रूप में विराजमान है । चांदी का दरवाजा मंदिर परिसर में लगे हुए है । पीपल के पेड पर मोली बांधकर भक्त मनोती मांगते है ।

माँ चिंतपुरणी मंदिर के दर्शन फोटो


मंदिर की समय तालिका :
सर्दी में यह मंदिर सुबह 5 बजे से रात्री 9:30 तक खुला रहता है ।
गर्मी में यह मंदिर सुबह 4:30 बजे से रात्री 10;00 तक खुला रहता है ।
सुबह की आरती : 6 बजे 
शाम की आरती : 8 बजे
भोग का समय : दोपहर 12:00
श्रिंगार : सुबह मंदिर खुलने पर
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