
म्यांमार के रखाइन प्रान्त के अधिकारियो के अनुसार 3000 से अधिक मस्जिदों के पास कानूनी लाइसेंस न होने के कारण ही यह कानून पारित किया गया . अधिकारियो द्वारा कहा गया कि जल्द ही एक सर्कुलर जारी किया जायेगा और इस बारे में सभी को बता दिया जायेगा .
रखाइन प्रान्त के सिक्यूरिटी और बॉर्डर अफेयर्स राज्यमंत्री कर्नल तेई लिन ने मीडिया से कहा कि अवैध रूप से बनाई गयी इन इमारतो की संख्या काफी बढ़ गयी थी जिन्हें गिरना जरुरी हो गया था . बता दें कि इस फैसले से बहुत बड़ा विवाद खड़ा हो गया है क्युकि जितनी भी इमारते गिराई जानी है उसमे सबसे अधिक मुस्लिम इलाको की है . वहां के एक मुस्लिम लीडर हाजी माउंग बार ने कहा कि यह इमारते 2012 के दंगा पीडितो की है अगर ये गिरा दी गयी तो ये लोग कहाँ जायेंगे ? और नमाज कहाँ अदा करेंगे ?
बता दें कि वहां के स्थानियों का कहना है कि यह अवैध निर्माण पहले ही रुकवा देना चाहिए था फिर भी सरकार द्वारा एक अच्छा फैसला किया गया इससे मुस्लिमो की तेजी से बढती आबादी पर रोक लग सकती है इससे तो साफ़ है कि वहां बोद्ध और मुस्लिमो का आपस में कोई तालमेल नही है . बोद्ध धर्म के लोग वहां के मुस्लिमो को पसंद नही करते इसलिए तो कुछ समय पहले उन्होंने एक मस्जिद को आग भी लगा दी थी .
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