
1. हनुमान के पद्चिन्ह
लोगों का विश्वास है कि ये पद्चिन्ह साक्षात राम भक्त हनुमान के हैं.2. उम्र का कोई असर नहीं
प्राचीन धर्म ग्रंथों में वर्णन मिलता है कि हनुमान त्रेता युग की रामायण से ले कर द्वापर युग के महाभारत तक मौजूद थे और अपने वरदान के कारण कलयुग में भी मौजूद हैं.
3. हनुमान मिलने आते हैं
रामचरितमानस लिखने वाले तुलसीदास के बारे में कहा जाता है कि उन्हें हनुमान के दर्शन का सौभाग्य मिला था, जिसकी वजह अटूट श्रद्धा और हनुमान मन्त्र था. वो मन्त्र है 'कालतंतु कारेचरन्ति एनर मरिष्णु, निर्मुक्तेर कालेत्वम अमरिष्णु'.
4. पर दो ही चरणों में ऐसा संभव है
अगर व्यक्ति यह विश्वास करता हो कि उसकी आत्मा और हनुमान में एक गहरा संबंध है. दूसरा, वह व्यक्ति इस मन्त्र का उच्चारण ऐसी जगह पर करे जहां 980 मीटर तक किसी मनुष्य का निवास न हो.
5. मन्त्र
इस मन्त्र के बारे में विश्वास किया जाता है कि ये मन्त्र हनुमान द्वारा श्रीलंका के पिदुरु में रहने वाले आदिवासियों को स्वयं दिया गया था.
6. हनुमान अमर हैं
हनुमान अमर हैं, पर धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जो भी भगवान राम और हनुमान का नाम सच्चे ह्रदय से लेता है, वो उसे दर्शन अवश्य देते हैं. इसका प्रमाण तुलसी दास सहित स्वामी रामदास और स्वामी राघवेन्द्र हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्हें हनुमान के दर्शन हुए थे.
7. हनुमान का निवास
भगवान हनुमान का निवास कहां है ये एक बहुत बड़ी पहेली है. कुछ लोगों का कहना है कि वो हिमालय के जंगलों में रहते हैं और समय पड़ने पर अपने भक्तों की मदद के लिए आते हैं, जबकि कुछ लोगों का मानना है कि उनका निवास स्थान रामेश्वरम के समीप Gandmadana (गन्डमदना) पहाड़ियों पर हैं.
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