
ये जो आप तस्वीर देख रहे है ये सऊदी अरब की है, जो की पूर्ण इस्लाम राष्ट्र है
और इस्लाम की उत्पत्ति भी सऊदी अरब से ही हुई
बुरखा पहन कर महिलाएं बास्केटबॉल खेल रही है, वैसे सऊदी अरब में महिलाओं को खेलकूद की अधिकतर इलाकों में इज़ाज़त नहीं है पर विदेशी दबाव के चलते सऊदी अरब भी
कुछ महिलाओं को ओलिंपिक में भेजता है
आपको 2016 के रियो ओलिंपिक की एक तस्वीर हम दिखाते है जिसे आप गौर से देखें

ये सऊदी अरब की महिला रेसर है जो बुरका/हिजाब पहनकर दौड़ रही है
और कुल मिलाकर ये है इस्लाम में महिलाओं की स्तिथि जिसपर भारत में कोई भी सेक्युलर और बुद्धिजीवी बात करने तक की औकात नहीं दिखाता
हिन्दुओ के खिलाफ लगातार जहर उगलने वाले ये बुद्धिजीवी और लेखक इस्लाम में महिलाओ की स्थिति पर कभी जबान नहीं खोलते
ये बुरखा और हिजाब इसलिए है ताकि पुरुष किसी महिला को देखे तो उसकी गन्दी नियत न जागे
और इसी कारण इस्लामी देशों में बुरखे का रिवाज बना
* नियत तेरी गन्दी, नजर तेरी गन्दी, कण्ट्रोल तुझे खुद पर नहीं
और बुरखा पहने महिला, भूत जैसी लगे महिला, ये कैसी हैवानियत
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