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बगल में पड़ा था संजय गाँधी का शव , उस वक्त भी इंदिरा को सूझ रही थी राजनीति !!


विश्वनाथ प्रताप सिंह इंदिरा गांधी से किसी राजनीतिक मसले पर बात करने के लिए दिल्ली आए हुए थे और एक अकबर रोड पर बैठकर उनका इंतजार कर रहे थे . उसी समय इंदिरा गांधी के सहायक आरके धवन आए और सीधे उनके कक्ष में गए . उन्होंने इंदिरा गांधी को एक बड़े हादसे की सूचना दी .तुंरत ही इंदिरा धवन के साथ एम्बेस्डर कार में घटनास्थल के लिए रवाना हुई .

दरअसल, संजय गांधी का हवाई जहाज क्रैश हो चुका था . इंदिरा के पहुंचने से पहले ही फायर ब्रिगेड ने विमान के मलबे से शव निकाल लिए थे और उन्हें एंबुलेंस में रखा जा रहा था . इंदिरा गांधी भी एंबुलेंस में बैठकर राम मनोहर लोहिया अस्पताल पहुंचीं . अस्पताल पहुंचते ही डॉक्टरों ने संजय गांधी को मृत घोषित कर दिया था .
बताया जाता है कि संजय गांधी के विमान हादसे की खबर मिलते ही सबसे पहले अस्पताल पहुंचने वाले नेताओं में अटल बिहारी वाजपेयी और चंद्रशेखर थे . दोनों नेता इस मुश्किल घड़ी में इंदिरा गांधी को सात्वना देने पहुंचे थे लेकिन उस वक्त दोनों को झटका लगा जब इंदिरा ने चंद्रशेखर को बोला कि मैं कई दिनों से आपसे असम के बारे में बात करना चाहती थी क्युकि इन दिनों वहां के हालात सही नहीं हैं . चंद्रशेखर ने इंदिरा से कहा कि इस बारे में वह बाद में बात करेंगे लेकिन इंदिरा गांधी ने कहा कि नहीं यह बहुत महत्वपूर्ण मामला है .
इंदिरा गांधी की बात सुनकर चंद्रशेखर चौंक गए और सोचने लगे कि एक मां उस समय कैसे राजनीति के बारे में बात कर सकती है जब जवान बेटे का शव बगल के कमरे में पड़ा हुआ है . इसी बीच विश्वनाथ प्रताप सिंह भी अस्पताल पहुंचे और बड़ी आसानी से इंदिरा गांधी से कहा कि आप तुरंत लखनऊ लौटिए क्योंकि वहां पर इससे बड़े मसले हल करने हैं .
बता दें कि इंदिरा के इस व्यवहार को देखकर इन सभी नेताओं को झटका लगा कि जिस मां के बेटे का शव आंखों के सामने हो वो परेशान होने के स्थान पर राजनीति के दिशा निर्देश कैसे दे रही है .
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