
इस दिन भारत ने महाबम अर्थात “हाइड्रोजन बम” बनाकर दुनिया के शक्ति संतुलन को बदलकर रख दिया था .बता दें कि इसके पहले भारत परमाणु परीक्षण कर चुका था लेकिन चीन को लग रहा था कि भारत दुनिया के दवाब में है और उसने अपना परमाणु कार्यक्रम रोक दिया है. अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस के बाद चीन ने अपने परमाणु कार्यक्रम का विस्तार किया और साथ ही साथ हाइड्रोजन बम भी बनाया और इसी दम पर चीन एशिया में अपनी दादागिरी दिखानी शुरू कर दी .
चीन का जवाब देने कि कई बार कोशिश की गई लेकिन हर बार इस योजना पर पानी फिर जाता था . प्रधानमंत्री राजीव गांधी से लेकर नरसिंह राव तक ने परमाणु परीक्षण करने के प्रयास किए लेकिन खबर लीक हो जाती और अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन सब एकजुट होकर भारत पर परीक्षण न करने का दवाब बनाते . चीन नहीं चाहता था कि भारत किसी भी सूरत में हाइड्रोजन बम बनाए . एक ओर चीन भारत पर परमाणु परीक्षण न करने के लिए अंतरराष्ट्रीय दवाब डाल रहा था तो दूसरी ओर वह भारत की समुंद्री मार्ग से घेरने में लगा हुआ था.
चीन की इस रणनीति को तोड़ने के लिए भारत ने भी हाइड्रोजन बम का परीक्षण करने का निर्णय किया. इस बार भारत ने सीक्रेट मिशन के तहत परमाणु और हाइड्रोजन बम बनाने शुरू किए और 11 और 13 मई 1998 को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपई की सरकार में 5 सफल परीक्षण हुए .
भारत सरकार ने इस परीक्षण की खबर किसी को नहीं लगने दी और जैसे ही महाबम का परीक्षण किया गया, पूरी दुनिया में कोहराम मच गया. इस महा बम के परिक्षण से चीन के पैरों तले तो जमीन खिसक गई. उसने सपने भी में कल्पना नहीं की थी कि भारत ऐसा साहसिक निर्णय भी ले सकता है. दरअसल भारत के बाद पाकिस्तान ने भी परमाणु परीक्षण किए लेकिन उसके परीक्षण उस स्तर के नहीं हुए जैसे भारत ने किए और पाकिस्तान के बमों को लेकर यह कहा गया कि इसके पीछे चीन का ही सहयोग था.
बता दें कि उस समय यूनाइटेड नेशन ने भारत पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबन्ध लगा दिए जिसका खामियाजा भारत को भुगतना पड़ा और भारत के आर्थिक विकास को काफी नुकसान हुआ. लेकिन उसके बाद चीन ने दादागिरी बंद हो गई.
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