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राहुल गांधी द्वारा दिखायी गयी सहारा डायरी का क़िस्सा पता है ? नहीं तो जनिये एक एक बात !!



ये एक डायरी है जिसको इस तरह प्लांट किया गया है कि ये देश का सबसे बड़ा मुद्दा बन जाए और नोटबंदी के बाद अब किसी ना किसी तरह मोदी सरकार को घेरा जाए ये सब सोचकर पूरी रणनीति  बनायी गयी जिसमें सबसे पहले ये कहा गया कि इंकम टैक्स विभाग को सहारा वालों के यहाँ रेड डालने पर एक डायरी या काग़ज़ मिले हैं ज़िनमे लिखा गया है कि मोदी जी को इस इस तारीख़ को रिश्वत दी गयी थी । देखें राहुल गांधी के इल्ज़ाम ।



उस काग़ज़ या डायरी में ये भी लिखा है कि बाक़ी किस किसको रिश्वत दी गयी है और उसमें तारीखें भी लिखी हैं लेकिन क्या ऐसी कोई डायरी थी भी या नहीं इसका कोई सबूत नहीं है क्यूँकि अगर ये काग़ज़ या डायरी इंकम टैक्स विभाग को मिली थी तो फिर ये प्रशांत भूषण और राहुल गांधी के पास कैसे पहुँच गयी ? क्या सहारा इंडिया के लोग भी मोदी के ख़िलाफ़ षड्यंत्र रचने में राहुल गांधी और बाक़ी लोगों के साथ हैं ?
चलो अब आगे की बात करते हैं , सहारा इंडिया के पास सरकारी इंकम टैक्स विभाग द्वारा पकड़ी गयी ये डायरी लेकर प्रशांत भूषण सुप्रीम कोर्ट पहुँच गये जहाँ से उनको डाँट पड़ी और माननीय कोर्ट ने कह दिया देश के PM पर ऐसे फ़ालतू सबूत लेकर इल्ज़ाम मत लगाओ और याचिका ख़ारिज हो गयी। उसके बाद राहुल गांधी इस मुद्दे को उछालने में लग गए और सीधे मोदी जी से सवाल करने लगे और देश में मोदी जी के ख़िलाफ़ महोल बनाने में सहारा मीडिया के साथ बाक़ी लोग भी जुड़ गए जो किसी ना किसी तरह मोदी जी के ख़िलाफ़ एक मुहिम चलना चाहते थे। यहाँ एक बात और जान लेनी ज़रूरी है कि राहुल गांधी और सहारा का एक कनेक्शन पाया गया है राहुल गांधी ने 2014 में अमेठी के अपने चुनाव में नोमिनेशन फ़ाइल करने के लिए सहारा वालों की गाड़ी का उपयोग किया था । नीचे देखें जिस गाड़ी में राहुल गांधी गये थे ।

अब देखें वो गाड़ी किसकी है


रिपोर्ट के अनुसार कहा जा रहा है कि सहारा श्री जो 24 हज़ार करोड़ रुपए आम जनता को देने के केस में जेल में बंद थे उनको छुड़ाने के लिए कुछ बड़े बड़े लोगों ने ये प्लानिंग रची है, फ़िलहाल सहारा श्री सुब्रतो राय ज़मानत पर बाहर हैं। लेकिन ये प्लानिंग किसने रची ये अभी जाँच का विषय है। बता दें कि ये बात सभी जानते हैं कि समाजवादी पार्टी सहारा के सबसे नज़दीक है और सहारा का सारा धंधा उनकी देखरेख में काफ़ी फल फूल रहा था । सहारा ने जो 24 हज़ार करोड़ रुपए देने हैं वो भी ऐसे ही कुछ बड़े बड़े नेताओं के बताए जा रहे हैं । यहाँ से जान लेना भी महतवपूर्ण होगा कि सहारा के इन काग़ज़ों में SP पार्टी के किसी नेता का नाम नहीं है ।
अब आगे बढ़ते हैं , केजरीवाल ने इतिहास में पहली बार मोदी जी पर अटैक करने के लिए विधानसभा का स्पेशल सेशन ही बुला लिया जो अपने आप में मिसाल है और इसी मुद्दे पर बात की गयी , फिर उसके बाद राहुल गांधी ने बयान दिया कि उनके पास एक ख़ास जानकारी है जिसको अगर उन्होंने बता दिया तो भूकम्प आ जाएगा । ये भूकम्प शब्द का इस्तेमाल जान भूझकर किया गया ताकि लोगों का ध्यान इस पर आए । फिर केजरीवाल ने बयान दिया कि राहुल गांधी में दम ही नहीं है कि वो मोदी जी के ख़िलाफ़ कुछ बता सकें इसमें सोचने वाली दो बातें हैं एक तो ये कि केजरीवाल नहीं चाहते उनसे बड़ा कोई नेता देश में उभरे जो मोदी विरोध करता हो दूसरी बात ये कि वो भी मीडिया को बताना चाहते थे कि मोदी के ख़िलाफ़ कोई बड़ी चीज़ हो सकती है ।
चलो इस प्लानिंग के अगले पार्ट में राहुल गांधी ने मीडिया को बताया कि उनके पास भूकम्प लाने के लिए कुछ काग़ज़ हैं जिन पर मोदी जी का नाम रिश्वत लेने वालों में लिखा है और उसमें कितने पैसे कब दिए गए ये भी लिखा है । इस काग़ज़ में और भी लोगों के नाम लिखें हैं आज एक ख़बर ये आयी है कि इसमें शीला दीक्षित का भी नाम है लेकिन ये भी हमें एक साज़िश ही लगती है ताकि कल को ये कहा जा सके कि हमने केवल भाजपा वालों के नाम नहीं लिए हैं ।
वैसे भी ये केस 2013 का है और अगर 2013 में मोदी जी ने पैसे लिए थे तो क्यूँ लिए थे ? क्या वजह थी ? क्या फ़ायदा सहारा वाले उनसे लेना चाहते थे ? और फिर जब मोदी जी ने पैसे ही ले लिए तो उनके PM बन ने के बाद सहारा श्री सुब्रतो राय अंदर कैसे हो गये ? ये तो बड़ा अजीब है जिसको आप पैसे देकर ख़रीद लेते हो वो नेता आपके अंदर जाने के समय आपकी सहायता ना करे जबकि वो इतना शक्तिशाली हो कि देश का PM हो । वैसे अब लालू प्रसाद यादव भी इसमें कूद गए है और PM से जवाब माँग लिया है ध्यान रहे लालू प्रसाद यादव देश की कोर्ट से साबित भ्रष्टाचार के अपराधी हैं ।
वैसे तो किसी काग़ज़ पर कुछ भी लिख देना या डायरी में लिख देना किसी के ख़िलाफ़ कोई भी सबूत कभी नहीं बन सकता है लेकिन ये आम जनता के लिए इंट्रेस्ट का विषय ज़रूर हो सकता है और मोदी के ख़िलाफ़ कोई भी हथियार ना पाने के बाद विरोधी लोगों ने जनता को लुभाने और काले धन पर सबसे बड़ा प्रहार करने वाले नेता के ऊपर ही निशाना साधने की कोशिस की है । हम जानते हैं बिकाऊ मीडिया , नेताओ और काला बाज़ारियों की मदद से इस मुद्दे को यथा सम्भव गरम किया जाएगा । आने वाले समय में देखते हैं किसकी जीत होती है बिना सबूत चिल्लाने वालों की या देश हित में लगभग हर वक़्त काम करने वाले कर्मयोगी की ? आपको क्या लगता है ?
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