
नमस्कार या प्रणाम करना एक सम्मान है, एक संस्कार है। प्रणाम करना एक यौगिक प्रक्रिया भी है। बड़ों को हाथ जोड़कर प्रणाम करने का वैज्ञानिक महत्व भी है। नमस्कार मन, वचन और शरीर तीनों में से किसी एक के माध्यम से किया जाता है। जानें क्या है नमस्कार का महत्व और उससे होने वाले लाभ...

लाभ- हमारे हाथ के तंतु मस्तिष्क के तंतुओं से जुड़े हैं। नमस्कार करते वक्त हथेलियों को दबाने से या जोड़े रखने से हृदयचक्र और आज्ञाचक्र में सक्रियता आती है जिससे जागरण बढ़ता है। उक्त जागरण से मन शांत और चित्त में प्रसन्नता आती है। साथ ही हृदय में पुष्टता आती है तथा निर्भिकता बढ़ती है।

आध्यात्मिक रहस्य :- दाहिना हाथ आचार अर्थात धर्म और बायां हाथ विचार अर्थात दर्शन का होता है। नमस्कार करते समय दायां हाथ बाएं हाथ से जुड़ता है। शरीर में दाईं ओर झड़ा और बांईं ओर पिंगला नाड़ी होती है। ऐसे में नमस्कार करते समय झड़ा, पिंगला के पास पहुंचती है और सिर श्रृद्धा से झुका हुआ होता है।
मनोवैज्ञानिक असर :- भारत में हाथ जोड़कर नमस्कार करना एक मनोवैज्ञानिक पद्धति है। हाथ जोड़कर आप जोर से बोल नहीं सकते, अधिक क्रोध नहीं कर सकते और भाग नहीं सकते। यह एक ऐसी पद्धति है जिसमें एक मनोवैज्ञानिक दबाव होता है। इस प्रकार प्रणाम करने से सामने वाला व्यक्ति अपने आप ही विनम्र हो जाता है।

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