
मोदी सरकार ने भारत के पड़ोसी देशों में रह रहे हिंदुओं को बड़ी राहत दी है। पाकिस्तान सहित तीन पड़ोसी देशों के हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन देने में अब बड़ी रकम खर्च नहीं करनी पड़ेगी।
केंद्र सरकार ने आवेदन राशि में बड़ी रियात देते हुए शुल्क 15,000 रुपये से घटाकर 100 रुपये कर दी है। सरकार के इस कदम का शरणार्थियों के अधिकार के लिए लड़ने वाली संस्था ने स्वागत किया है।
गृह मंत्रालय ने जारी की गई अधिसूचना में कहा कि नए कानून का फायदा पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, और पारसी धर्मावलंबी उठा सकेंगे।
इन देशों के अलावा दूसरे देशों के अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को भी रियायत दी गई है और उन्हें 15,000 रुपये की जगह 10,000 रुपये ही शुल्क जमा कराने होंगे।
नागरिकता नियम 2009 के विभिन्न प्रावधानों में संशोधन के साथ यह बदलाव किया गया है। नए नियम के तहत अल्पसंख्यक समुदाय के लोग सब-डिविजनल मैजिस्ट्रेट के सामने भारतीय नागरिक के रूप में निष्ठा की शपथ ले सकते हैं।
उनकी अनुपस्थिति में कलेक्टर, डेप्युटी कमिश्नर या डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट के समक्ष भी शपथ लिया जा सकेगा।
इधर, इस कदम का स्वागत करते हुए शरणार्थियों के अधिकार के लिए लड़ने वाली संस्था सीमांत लोक संगठन के चेयरमैन हिंदू सिंह सोढा ने कहा कि यह फैसला पड़ोसी देशों में रह रहे अल्पसंख्यकों के लिए बड़ी राहत है।
उन्होंने कहा, 'हम आवेदन की राशि 100 रुपये करने की मांग करते रहे हैं। हम खुश हैं कि कई बैठकों के बाद गृह मंत्रालय ने यह मांग मान ली।'
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