
ओवैसी का कहना है कि यासीन भटकल को फांसी की सजा सुनकर कोर्ट ने मुसलमान समाज के साथ भेदभाव किया है. ओवैसी ने कहा की भारत में धार्मिक आधार पर सजा सुनाई जा रही है. ओवैसी के ऐसे बयानों से लगता है कि ओवैसी की सोच केवल मुसलामानों तक ही सिमित है. शायद औवैसी भूल गए है कि किसी के खिलाफ सबूत होगा तो वो जरूर जेल की सलाखों के पीछे होगा. फिर चाहे वो किसी भी धर्म का क्यों ना हो. असल में भेदभाव सरकार नहीं बल्कि ओवैसी खुद करता है. वो खुद को मुसलमानों का नेता कहते है. क्या आजतक उन्होंने मुसलमानों की भलाई के लिए कुछ काम किया?
आपको बता दे कि इस यासीन भटकल की सजा पर ओवैसी को इतना दुःख हो रहा ही उसने हैदराबाद में 2013 के फरवरी महीने की 21 तारीख को दिलसुखनगर के भीड़-भाड़ इलाके में बम ब्लास्ट किये थे , जिसमें 18 लोग मारे गये थे और कई जीवन भर के लिए विकलांग हो गए थे. इंडियन मुजाहिद्दीन का मुख्य है नुमाइंदा यासीन भटकल.
ओवैसी अपने बयानों से सियासत में चमके रहना चाहता है. ओवैसी अपने बयानों से देश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता रहता अहि. ओवैसी अपने फ़ायदे के लिए कुछ भी कर सकता है. सभी ओवैसी के इस बयान की निंदा कर रहे है.
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