
मंदिर तक जाने के लिए पद मार्ग या उड़्डनखटोले से भी जा सकते है। मान्यता है कि इस स्थान पर देवी सती के नेत्र गिरे थे। मंदिर में पीपल का पेड़ मुख्य आकषर्ण का केन्द्र है जो कि अनेको शताब्दी पुराना है। मंदिर के गुम्बद सोने से बने हुए है।
नैना देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश बिलासपुर द्वार

मंदिर निर्माण में सफेद मार्बल काम में लिए गये है। मुख्य गुम्बद पर नैना देवी को समर्प्रित झंडे दिखाई देते है | कुछ गुम्बदो पर शिव त्रिशूल भी लगे हुए है।
मंदिर के मुख्य द्वार के दाई ओर भगवान गणेश और हनुमान कि मूर्ति है। मुख्य द्वार के के आगे दो शेर की प्रतिमाएं दिखाई देती है जो शेरोवाली की मुख्य सवारी है। मंदिर के गर्भग्रह में मुख्य तीन मूर्तियां है। दाई तरफ माँ काली , मध्य में नैना देवी की और बाई ओर भगवान श्री गणपति की प्रतिमा है। पास ही में पवित्र जल का तालाब है जो मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित है। मंदिर के समीप एक गुफा है जिसे नैना देवी गुफा के नाम से जाना जाता है।
नैना देवी मंदिर की एक और कथा :
इस कथा के अनुसार एक गुज्जर लड्का जिसका नाम नैना राम था अपने गाँव में मवेशियो को चराया करता था । एक दिन उसने देखा की एक सफेद गाय के थनो से अपने आप दुध निकल कर एक पत्थर पर गिर रहा है और पत्थर द्वारा पिया जा रहा है। यह क्रिया वो अब रोज देखने लगा । एक रात्री माँ ने सपने में उसे दर्शन दिए और बताया की वो सामान्य पत्थर नहीं अपितु माँ की पिंडी है। यह बात नैना राम ने उस समय के राजा बीर चंद को बताई और राजा ने माँ नैना देवी का मंदिर निर्माण किया।
मंदिर कैसे पहुँचे ?
यह मंदिर दिल्ली से 350 किमी और चंडीगढ़ से 100 किमी की दुरी पर है। लुधियाना: 125 कि॰मी॰ दूर और चिन्तपूर्णी मंदिर 110 कि॰मी॰ दूर है।
सबसे पास का हवाईअद्दा चंडीगढ़ है। रैल्वे स्टेशन सबसे नजदिकी आनंदपुर साहिब है जहा से मंदिर 30 किमी की दुरी पर है। आनंदपुर साहिब से आसानी से टैक्सी बस मंदिर जाने के लिए मिल जाती है। रोड रास्ते के हिसाब से यह नेशनल हाईवे 21 पर पड़ता है ।
देखे नैना देवी मंदिर बिलासपुर फोटो


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