
एक तरफ हैकर्स का खतरा बढ़ रहा है और दूसरी तरफ डिजिटल लेनदेन बढ़ रहा है. आप जो पेटीएम, फ्रीचार्ज और मोबिक्विक जैसी एप से लेनदेन कर रहे है क्या वो सुरक्षा के लिहाज से सही है? क्या आपको डर है कि आपका डेबिट, क्रेडिट पिन चोरी ना हो जाए? कुछ महीनों पहले की बात है 5 बैकों के 25 लाख खाता धारकों के डेबिट कार्ड पिन चोरी हो गए थे, इसमें देश के सभी बड़े बैंक SBI, एचडीएफसी, आईसीआईसीआई, येस बैंक और एक्सिस बैंक शामिल थे. बैंक डिजिटल लेनदेन को दोषी ठहराते हुए कहते है कि इतने पिन चोरी होने का कारन सिर्फ और सिर्फ डिजिटल लेनदेन है.
भारत में डिजिटल लेनदेन पर कोई कानून नहीं है लेकिन आप हर शहर में अपने नज़दीक पुलिस स्टेशन जाकर CYBER CELL में कंप्लैट कर सकते हैं और अगर आपकी क़िस्मत या जान पहचान अच्छी हुई तो पुलिस वाले आपका केस धारा 420 में दर्ज कर लिया तो फिर आपके पैसे जल्दी ही रिकवर हो जाएँगे।वैसे बता दें कि अभी पेटीएम, फ्रीचार्ज और मोबिक्विक जैसे डिजिटल वॉलेट आरबीआई के दायरे से बाहर हैं. क्या आप जानते है कि ऑनलाइन बैंकिंग सिस्टम से किसी भी क्रेडिट या डेबिट कार्ड को महज 6 सेकंड में हैक किया जा सकता है? जैसे जैसे डिजिटल लेनदेन बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे साइबर अपराधी भी बढ़ते जा रहे है. अभी भारत में डिजिटल भुगतान के कानूनों की बहुत कमी है. डिजिटल भुगतान के लिए इस्तमाल की गयी एप में हुई गड़बड़ी की जिम्मेदारी उपभोक्ता पर ही आ जाती है. सरकार को ऐसे कानून बनाने चाहिए जो डिजिटल लेनदेन में पैसा गंवाने पर उपभोक्ता को संरक्षण दे. हालाँकि सरकार डिजिटल भुगतान के कानूनों को नजरअंदाज नहीं कर रही है । #
इसके साथ ही कभी भी किसी को अपना पासवोर्ड ना बताएँ , कभी भी facebook या मेल पर आया कोई ऐसा लिंक क्लिक ना करें जिसके बारे में आपको ठीक ठीक पता ना हो ।
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