पूरी दुनिया में दस में एक महिला सर्वाइकल कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी की शिकार है। भारत में जागरूकता और इलाज की कमी की वजह से यह बीमारी जानलेवा साबित हो रही है। महिलाओं को इस बीमारी के इलाज की जानकारी भी नहीं होती है। इसे बच्चादानी, गर्भाशय या फिर यूट्राइन सर्विक्स कैंसर भी कहा जाता है।भारत में स्तन कैंसर के बाद सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में होने वाली सबसे बड़ी दूसरी बीमारी है। आमतौर पर बढ़ती उम्र की महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर की संभावना सबसे अधिक होती है। सर्वाइकल कैंसर यानी गर्भाशय कैंसर एक खतरनाक बीमारी है, लेकिन जागरूकता से सर्वाइकल कैंसर पर रोक लगाई जा सकती है। आमतौर पर सर्वाइकल कैंसर का पता लगाने के लिए सर्विक्स यानी बच्चेदानी से द्रव्य निकाला जाता है जिससे जांच की जा सकें।
सर्वाइकल कैंसर हृयुमन पैपीलोमा वायरस (एचपीवी) के कारण होता है। इसके ज्यादा तर केस 40 साल या इससे ऊपर की महिलाओं में देखे गये हैं। हालांकि ज्यादातर मामलों में एडवांस स्टेज में ही इसका पता चल पाता है, लेकिन पैप स्मीयर टेस्ट से इसे समय रहते पकड़ा जा सकता है। सही वक्त पर इसका पता चल जाए, तो इसका इलाज भी संभव है। अमेरिकन कैंसर सोसायटी की मानें, तो सर्वाइकल कैंसर के कुछ खास रिस्क फैक्टर हैं, मसलन एचपीवी इंफेक्शन, स्मोकिंग, बार-बार होने वाली प्रेग्नंसी, एक से ज्यादा सेक्सुअल पार्टनर और परिवार में सर्वाइकल कैंसर की हिस्ट्री।
पैप स्मीयर परीक्षण से संभावित कैंसर-पूर्व परिवर्तनों की पहचान की जा सकती है। उच्च कोटि के परिवर्तनों का उपचार, कैंसर के विकास को रोक सकता है। विकसित देशों में, गर्भाशय-ग्रीवा परीक्षणों के व्यापक उपयोग के कारण 50% या अधिक मात्रा में आक्रामक गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के मामलों में कमी आई है।
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