
भारत में एक तिहाई जनसंख्या शाकाहारी है और वहीं कई जो मांसाहारी लोग हैं, वे बीफ या पॉर्क ना खा कर चिकन खाना ज्यादा पसंद करते हैं। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, चिकन की खपत 1985 के बाद से 14 गुना बढ़ गई है। इसकी रिपोर्ट के अनुसार यह बात सामने आई है कि ब्रायलर कंपनियां मुर्गी पालन करने वाले किसानों को चारे में एंटीबायोटिक्स मिला कर देती हैं, जिससे मुर्गियां तेजी से बड़ी हो जाती हैं और साइज में दोगुनी दिखने लगती हैं।
फिर बाद में जब उनका इस्तमाल करना होता है, तब वे उन मुर्गियों को किसानों से वापस खरीद लेती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं जिस चिकन को आप मजे़ ले कर खाते हैं, वह आपकी सेहत पर बितना बुरा असर डालता है। एंटीबायोटिक मिले चिकन को खाने से शरीर की इन दवाओं के अवशेष चले जाते हैं और वे उन दवाओं की ताकत घटा देते हैं।
फिर जब भी हम बीमार पड़ते हैं और एंटीबायोटिक का सेवन करते हैं, तब हमें यह दवाइयां बेअसर लगने लगती हैं क्योंकि यह हमें पूरी तरह से ठीक नहीं करतीं या फिर हम कई दिनों तक बीमारी की हालत में पड़े रहते हैं।
हमारे शरीर के लिये सारी एंटीबायोटिक दवाएं बेसर होने लगती हैं क्योंकि मुर्गीपालन उद्योग अपने मुलाफे के लिये यह धंधा बिना किसी डर के चला रहा है। आइये जानते हैं एंटीबायोटिक मिले चिकनको खाने से आपकी सेहत पर क्या असर पड़ सकता है।
Like Our Facebook Fan Page
Subscribe For Free Email Updates
0 comments: